पत्थर बना देने वाले कुएं से लेकर रहस्यमयी गुफा तक, यहां हर कदम पर दिखता है ‘चमत्कार’! बेहद अनोखी है जगह
मदर शिप्टन की गुफा इंग्लैंड के नॉर्थ यॉर्कशायर के नारेसबोरो (Knaresborough) टाउन में स्थित है. मदर शिप्टन एक प्रसिद्ध भविष्यवक्ता थीं. निड नदी के पास स्थित ये गुफा बेहद रहस्यमयी है, जिसके बगल में एक प्राचीन ‘जादुई’ कुआं भी है, जो 1630 से काम कर रहा है, जिसके पानी से चीजें पत्थर की बन जाती हैं, इसलिए इसे पेट्रीफाइंग कुआं भी कहा जाता है. यहां हर कदम पर ‘चमत्कार’ दिखता है. इस बेहद अनोखी जगह को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं.
TOI की रिपोर्ट के अनुसार, 15वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, उर्सुला साउथील (Ursula Southeil) नाम की एक भविष्यवक्ता थी, जो मदर शिप्टन (Mother Shipton) के नाम से अधिक लोकप्रिय थी. उसके माता-पिता के बारे में बहुत कम जानकारी है; किंवदंतियां हमें केवल यही बताती हैं कि उसका जन्म एक तूफानी रात में इस गुफा में हुआ था. उर्सुला साउथिल बहुत बदसूरत थी. उसकी झुकी हुई पीठ और अत्यधिक बड़ी नाक के कारण उसे चुड़ैल (witch) कहा जाने लगा ।
आखिरकार लोगों के तानों से बचने के लिए वह उस गुफा में ज्यादा समय बिताने लगीं, जहां उनका जन्म हुआ था. वह राजाओं और चीज़ों के बारे में भी भविष्यवाणियां करती थी. उनकी सबसे प्रसिद्ध भविष्यवाणी 1666 में लंदन की भीषण आग के बारे में थी. वह इंग्लैंड में रहने वाले सबसे महान लोगों में से एक हैं. मदर शिप्टन की गुफा वही गुफा है, जहां उनका जन्म हुआ था और जहां उन्होंने अपने अधिकांश वर्ष बिताए थे.
कब हुई थी मदर शिप्टन की मृत्यु
मदर शिप्टन की मृत्यु 1561 में हुई और उन्हें नारेसबोरो में दफनाया गया. उसकी कब्र एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है. कुछ लोग कहते हैं कि गुफा में मदर शिप्टन की मूर्ति की नाक रगड़ने से इच्छा पूरी हो जाती है. कुछ लोग कहते हैं कि मदर शिप्टन की गुफा एक घूमने लायक जगह है. वहीं, दूसरों का कहना है कि यह एक सुंदर और दिलचस्प जगह है.
पेट्रीफाइंग कुआं
मदर शिप्टन की गुफा के नजदीक एक कुआं स्थित है, जिसे पेट्रीफाइंग वेल कहा जाता है. इस कुएं को इसका नाम पेट्रीफिकेशन की प्रक्रिया से मिला है, जो यहां देखने को मिलती है. बता दें कि पेट्रीफिकेशन एक जियोलॉजिकल प्रोसेस है, जहां खनिज चीजों पर जमा होते हैं और फिर हजारों सालों में पत्थर में बदल जाते हैं, लेकिन इस कुएं के पानी से चीजों को पत्थर बनने में हजारों साल नहीं लगते हैं, क्योंकि यहां का पानी खनिजों से भरपूर है, इसलिए चीजें को पत्थर बनने में बस कुछ ही महीने लगते हैं. हालांकि, चीजें उतनी भी जल्दी पत्थर नहीं बनती हैं, जितना की लोककथाओं में दावा किया गया है.