ताजमहल में मुगल बादशाह के ‘उर्स’ के खिलाफ दायर की गई याचिका, जानें इस दिन क्या-क्या होता है?
आगरा का ताजमहल कानूनी बहस की वजह से इन दिनों सुर्खियों में है. अखिल भारत हिंदू महासभा (एबीएचएम) ने ताज महल में ‘उर्स’ के आयोजन पर रोक लगाने के लिए आगरा कोर्ट में याचिका दायर की है. मुगल बादशाह शाहजहां की पुण्यतिथि पर उर्स का आयोजन होता है. याचिका में कहा गया है कि सरकार और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की अनुमति के बगैर इसका आयोजन किया जा रहा है.
इस साल शाहजहां का 369वां ‘उर्स’ 6 फरवरी से लेकर 8 फरवरी तक ताजमहल में आयोजित किया जाना है. उर्स, अरबी भाषा का शब्द है. इसका शाब्दिक अर्थ शादी होता है. आमतौर पर किसी सूफी संत की पुण्यतिथि पर उसकी दरगाह पर सालाना आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम को उर्स कहते हैं. आइए जानते हैं कि ताजमहल में उर्स पर क्या होता है और अखिल भारत हिंदू महासभा इसके खिलाफ क्यों है?
क्या है शाहजहां के उर्स का विवाद?
अखिल भारत हिंदू महासभा ने उर्स के पर लोगों को ताजमहल में मुफ्त एंट्री दिए जाने को रोकने के लिए कोर्ट से गुहार लगाई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि ताजमहल की देखरेख का काम भारत सरकार के ASI के जिम्मे है, इसलिए ऐतिहासिक धरोहर में धर्मिक काम नहीं किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता के वकील अनिल कुमार तिवारी ने कहा, ‘एबीएचएम के डिविजन प्रमुख मीना दिवाकर और जिला अध्यक्ष सौरभ शर्मा ने कोर्ट में याचिका दी है. उर्स मनाने को लेकर समिति के खिलाफ पर्मानेन्ट रोक की मांग की गई है.याचिकाकर्ता के वकील अनिल कुमार तिवारी ने कहा, ‘एबीएचएम के डिविजन प्रमुख मीना दिवाकर और जिला अध्यक्ष सौरभ शर्मा ने कोर्ट में याचिका दी है. उर्स मनाने के खिलाफ पर्मानेन्ट रोक की मांग की गई है.’ रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले पर 4 मार्च 2024 को अदालत में सुनवाई होगी.
ताजमहल में क्यों होता है उर्स?
शाहजहां का उर्स तीन दिन का कार्यक्रम होता है. मुगल साम्राज्य के पांचवे बादशाह शाहजहां की पुण्यतिथि पर ताजमहल में हर साल इसका आयोजन किया जाता है. शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में यमुना नदी के तट पर ताजमहल को बनवाया था. मुमताज महल की मौत 1631 में हुई थी. उसके बाद 1632 से सफेद संगमरमर का खूबसूरत मकबरा बनाने का काम शुरू हो गया, जिसे पूरे होने में लगभग 20 साल लग गए. 1666 में शाहजहां की मौत के बाद, उसे भी मुमताज की कब्र के पास ही दफन कर दिया गया.
आम जनता के लिए खुलता है बंद तहखाना
ताजमहल में शाहजहां और मुमताज महल, दोनों की कब्र मुख्य मकबरे में बने तहखाने में स्थित हैं. आम लोगों को इन कब्रों तक जाने की इजाजत नहीं होती है. लेकिन उर्स के अवसर पर शाहजहां और मुमताज की कब्र के तहखानों को सभी के लिए खोल दिया जाता है. तीर्थयात्री और पर्यटक को असली कब्रों को देखने का मौका मिलता है. उर्स के बाद इन्हें फिर से बंद कर दिया जाता है.