हर बात पर ताने फिर भी अपनी राह पर… मिलिए एक्स मुस्लिमों से, जानिए इनके धर्म छोड़ने की कहानी
जन्मदिन, शादियां, त्योहार… फैमिली फंक्शन की एक लंबी लिस्ट है जिन्हें केरल की रहने वाली नूरजहां केएम हर साल मिस करती हैं। वह कहती हैं कि ‘मैं अब भी उन्हें अपने परिवार के रूप में मानती हूं लेकिन एक बार जब मैंने इस्लाम छोड़ दिया, तो वे मुझे ईशनिंदा करने वाला मानने लगे। वो मुझे ‘बुरी आत्माओं का अनुयायी’ करार देने लगे। 48 वर्षीय नूरजहां केएम पूर्व स्कूल स्टाफर रही हैं, जो अब कोट्टायम में एक राजनीतिक पार्टी की कार्यकर्ता के तौर पर काम करती हैं। वो हाल के वर्षों में इस्लाम छोड़ने वाले मुसलमानों की बढ़ती संख्या में से एक हैं। कुछ लोग धर्म परिवर्तन करते हैं, नूरजहां जैसे अन्य लोग धर्म को पूरी तरह से त्याग रहे हैं।
सामाजिक अलगाव के बावजूद नूरजहां को धर्म छोड़ने का कोई अफसोस नहीं है। हिजाब पहनना, महिलाओं के प्रति भेदभाव और रूढ़िवादिता ने उन्हें धीरे-धीरे नास्तिकता की ओर धकेल दिया। उन्होंने बताया कि ‘इतने वर्षों में, मुझे एहसास हुआ कि ये महिलाओं के खिलाफ स्पष्ट रूप से भेदभाव करता है और उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक मानता है। वह अपनी बेटियों का पालन-पोषण भी सभी धर्मों से बाहर रहते हुए कर रही हैं। 2017 के प्यू रिसर्च सेंटर सर्वे में बताया गया है कि अमेरिका में लगभग 3.5 मिलियन मुसलमानों में से एक लाख हर साल इस्लाम छोड़ देते हैं। हालांकि, करीब इतनी ही संख्या में लोग इस्लाम अपना लेते हैं। पश्चिमी यूरोप में भी इसी तरह की प्रवृत्ति प्रचलित है, जहां इस्लाम के अंदर और बाहर धर्मांतरण मोटे तौर पर संतुलित नजर आता है।
हालांकि भारत को लेकर कोई डेटा नहीं है। ‘हू किल्ड लिबरल इस्लाम’ के लेखक हसन सुरूर का कहना है कि वह ऐसे बहुत से मुसलमानों को जानते हैं जो नास्तिक बन गए हैं। उन्होंने कहा कि ‘इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि युवा भारतीय मुसलमान इस्लाम से दूर हो रहे हैं। वो इसकी कठोरता (शरिया की ‘अपरिवर्तनीयता’ का हवाला देकर परिवर्तन का विरोध) और गैर-मुसलमानों के प्रति असहिष्णुता, स्त्री-द्वेष और होमोफोबिया के तनाव से दूरी अपना रहे हैं। इनमें वो लोग भी हैं जो सउदी की ओर से प्रचारित कट्टरपंथी और कठोर सलाफी इस्लाम का पालन नहीं करते हैं।’ हसन सुरूर ने आगे कहा कि उनके अपने कुछ करीबी परिवार के सदस्यों ने मुस्लिम धर्म अपनाना बंद कर दिया है। आम तौर पर उन्होंने ईश्वर के विचार को ही त्याग दिया है। हालांकि, वे खुद को मुसलमान कहते रहते हैं और जब मुसलमानों या इस्लाम पर हमला होता है तो वे क्रोधित हो जाते हैं।