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नेशनल डेस्क: संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यू.एन.एफ.पी.ए.) द्वारा जारी हालिया वर्ल्ड पापुलेशन रिपोर्ट 2024 में बड़ा खुलासा हुआ है कि इस धरती पर मौजूद हर छठा इंसान भारतीय है। रिपोर्ट के मुताबिक 1950 से 74 वर्षों में देश की आबादी बढ़कर चार गुणा हो चुकी है। वहीं रिपोर्ट में यह भी अनुमान जताया गया है कि देश की यह बढ़ती आबादी अगले 77 वर्षों में बढ़कर दोगुनी हो जाएगी, यानी हैरत की बात है कि जनसंख्या वृद्धि की देश में यही रफ्तार रही तो आबादी 300 करोड़ के करीब पहुंच जाएगी। महिलाओं की उम्र में साढ़े तीन वर्ष का इजाफा यहां एक रोचक तथ्य भी सामने आया है कि भारत की बढ़ती हुई आबादी के साथ महिलाओं की उम्र में लगभग साढ़े तीन वर्ष की बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट कहती है कि भारत में पुरुषों की जीवन प्रत्याशा 71 वर्ष और महिलाओं की 74 वर्ष है। वर्ष 2020 तक पुरुषों की जीवन प्रत्याशा 67.8 और महिलाओं की 70.4 वर्ष थी। सात दशकों में 100 करोड़ से ज्यादा बढ़ी आबादी ‘इंटरवॉवन लाइव्स, थ्रेड्स ऑफ होप: एंडिंग इनइक्वैलिटीज इन सैक्सुअल एंड रिप्रॉडक्टिव हेल्थ एंड राइट’ नामक इस रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक 2024 में भारत की कुल आबादी चीन को पीछे छोड़ 144.17 करोड़ पर पहुंच गई। चीन की आबादी 142.5 करोड़ दर्ज की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि धरती पर मौजूद कुल इंसानी आबादी बढ़कर 811.9 करोड़ पर पहुंच चुकी है, जिसमें से 17.8 फीसदी आबादी भारतीयों की है। देखा जाए तो 1950 में भारत की आबादी महज 35.3 करोड़ थी। सात दशकों से अब तक देश की आबादी में 100 करोड़ से ज्यादा का इजाफा हो चुका है। उललेखनीय है कि भारत में आधिकारिक तौर पर 2011 में की गई जनगणना में भारत की कुल आबादी 121.08 करोड़ दर्ज की गई थी। देश में बुजुर्गों की आबादी 7 फीसदी यू.एन.एफ.पी.ए. ने अपनी रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी है कि देश में 7 फीसदी आबादी बुजुर्गों की है, जिनकी आयु 65 वर्ष या उससे अधिक है। वहीं दूसरी तरफ 24 फीसदी आबादी 14 वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चों की है। वहीं 26 फीसदी आबादी की उम्र 10 से 24 वर्ष की है। वहीं 15 से 64 साल के लोगों की आबादी देश में 68 फीसदी है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में जहां पुरुषों की जीवन प्रत्याशा 71 वर्ष, वहीं महिलाओं में 74 वर्ष दर्ज की गई है।

सांप दुनिया के अनोखे जानवरों में से एक माना जाता है. ये करीब छह लाख साल पहले आए महाविनाश के बाद तेजी से पनपे सरीसृपों के वंशज हैं. अपने जहर के लिए मशहूर सांप दुनिया के लगभग हर देश में पाए जाते हैं.

भारत को तो दुनिया में सांपों का देश तक कहा जाता रहा है. यह कल्पना करना मुश्किल है कि कोई ऐसा देश भी हो सकता है जहां एक भी सांप ना हो. लेकिन ऐसा नहीं है. दक्षिणी ध्रुव में न्यूजीलैंड ऐसा देश है जहां वास्तव में ऐसा कोई सांप नहीं है. यही कारण है कि इसे सांप रहित देश कहा जाता है.

आज तक जमीन पर नहीं मिला है सांप
सुदूर दक्षिणी ध्रुव में इस द्वीपों के देश जंगली जानवरों की कमी नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि यहां सरीसृप नहीं मिलते हैं. फिर भी एक भी सांप नहीं दिखता है. इतना ही नहीं न्यूजीलैंड के आसपास समुद्र में कई प्रकार के सांप देखने को मिलते हैं. फिर भी अभी तक यहां जमीन पर एक भी सांप नहीं मिला है.

हैरानी की बात क्यों
सांप जैसे जानवर के बारे में यह सोचना बहुत मुश्किल है कि पृथ्वी पर कहीं वो गायब भी रह सकते हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि वे विकास में खुद को ढालने के लिए बहुत ही ज्यादा चौंकाते रहे हैं. जितनी इनकी प्रजातियों में विविधता है उतनी ही इनके भोजन में भी विविधता देखने को मिलती है. ऐसे में उनका न्यूजीलैंड जैसे विविधता भरे देश में ना पाया जाना हैरान की बात है.


इस देश की जमीन पर इतिहास में कभी सांप नहीं पाए गए हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)

तो क्या बाहर से भी नहीं आ सकते सांप?
जी हां, यह सवाल भी यहां बहुत उपयुक्त है कि क्या न्यूजीलैंड में लोग बाहर से सांप नहीं ले गए हैं. इसका जवाब जानकर हैरानी होती है कि न्यूजीलैंड में बाहर से सांप लाना प्रतिबंधित है और यहां किसी भी प्रकार के सांप रखना गैरकानूनी है. न्यूजीलैंड सरकार और लोग मानते हैं कि अब सांपों का आना उनके देश के लिए खतरा हो सकता है.

एक रोचक बात यह भी यहां जान लेना जरूरी है कि एक और देश है जिसके बारे में दावा किया जाता है कि आज यहां पर भी एक सांप नहीं है. लेकिन कभी यह सांपों का देश हुआ करता था. यह देश आयरलैंड है. कहा जाता है कि ईसाई धर्म की रक्षा के लिए सेंट पैट्रिक नाम के एक संत ने पूरे देश के सांपों को एक साथ घेर लिया और उन्हें समुद्र में फेंक दिया था.

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