Property पर अवैध कब्जे से छुटकारा पाने के लिए इन कानूनों का ले सहारा, तुरंत मिलेगा इंसाफ
जमीन या मकान पर अवैध कब्जे की खबरें आप अकसर अखबारों में पढ़ते होंगे. धन और बल के दम पर इस तरह के नाजायज काम होते ही रहते हैं.
हर तरह के अवैध कार्यों से निपटने के लिए भारत का कानून है. प्रॉपर्टी पर हुए अवैध कब्जे को लेकर भी हमारा कानून हमें कुछ अधिकार देता है. चूंकि लोगों को इस कानून के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती.
तो वे परेशान होकर इधर-उधर भटकते रहते हैं. आज हम आपको ऐसी जानकारी दे रहे हैं, जिसकी मदद से पेचिदा से पेचिदा मामले में भी आपकी जीत हो सकती है, बशर्ते आप गलत काम नहीं कर रहे.
अपराधी और भूमाफिया डरा-धमकाकर आम आदमी की प्रॉपर्टी पर कब्जा कर लेते हैं. मालिकाना हक होने के बावजूद पीड़ित भूस्वामी संपत्ति से बेदखल कर दिया जाता है.
किसी भी संपत्ति के मालिक को यह अधिकार है कि उसकी प्रॉपर्टी पर कब्जा उसकी इच्छा के विरुद्ध नहीं होना चाहिए. आइये जानते हैं आखिर मकान-जमीन पर अवैध कब्जे के मामले में पीड़ित पक्षकार को क्या करना चाहिए?
प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जे से जुड़े अहम कानून
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जे से जुड़े केस में पीड़ित व्यक्ति आपराधिक और सिविल दोनों प्रकार के कानूनों का सहारा ले सकता है. भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 धोखाधड़ी के अनेक मामलों में लगाई जाती है.
इसलिए किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से आपराधिक बल के जरिए बेदखल करने पर इस धारा को लगाया जा सकता है. इस धारा के तहत शिकायत के बाद संबंधित पुलिस थाने को फौरन कार्रवाई करनी होती है.
किसी भी पीड़ित व्यक्ति को सर्वप्रथम अपने इस अधिकार का उपयोग करना चाहिए.भारतीय दंड संहिता की धारा 406 के तहत किसी व्यक्ति की संपत्ति में विश्वास के आधार पर घुसकर उस पर कब्जा कर लेना संगीन अपराध है.
पीड़ित पक्षकार इस अन्याय को लेकर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करा सकता है. वहीं, आईपीसी की धारा 467 कूटरचना पर लागू होती है, जिसमें किसी संपत्ति को फर्जी दस्तावेजों के जरिए हथिया लिया गया है.
तुरंत इंसाफ के लिए बना ये कानून
स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट 1963, यह कानून त्वरित न्याय के लिए मील का पत्थर साबित हुआ है. इस अधिनियम की धारा 6 में किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से बेक़ब्ज़ा करने पर समाधान उपलब्ध कराती है.
विशेष तौर पर जब किसी व्यक्ति की संपत्ति में घुसकर उस पर कब्जा कर लिया गया हो. इस धारा के अंतर्गत पीड़ित को सरल संक्षिप्त न्याय दिया जाता है.हालांकि, प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जे के मामले में सबसे पहले पीड़ित व्यक्ति को वकीलों या जानकारों से कानूनी मदद लेनी चाहिए.
इसके अलावा हर व्यक्ति को अपनी संपत्ति के प्रति संवेदनशील होना चाहिए. क्योंकि अवैध कब्जे के मामले अधिकांश वहां होते हैं जहां लापरवाही पूर्वक किसी जमीन, मकान या भूखंड को छोड़ दिया जाता है.