दोमुंहा सांप बिकता है लाखों में, एक भी मिल जाए तो बदल जाएगी किस्मत, लेकिन इसका उपयोग क्या है?
दोमुंहा सांपों (Double Faced Snake) के बारे में आपने सुना होगा. इन्हें बेहद दुर्लभ माना जाता है. इसी वजह से इनकी कीमत भी बहुत ज्यादा है. अंतरराष्ट्रीय मार्केट में दोमुंहा सांप लाखों रुपये में बिकते हैं. कहीं-कहीं तो इनकी कीमत करोड़ों रुपये बताई गई है. यानी अगर एक भी मिल जाए तो किस्मत बदल जाएगी. लेकिन कभी सोचा कि इसका उपयोग क्या है? क्यों ये सांप इतनी महंगी कीमत में बिकता है?
दोमुंहा सांप सिर्फ ईरान, पाकिस्तान और भारत के रेगिस्तानी इलाकों में पाए जाते हैं. राजस्थान में भी इन्हें देखा जाता है. लोग इन्हें जॉनी सैंड बोआ, रेड सैंड बोआ और ब्राउन सैंड बोआ के नाम से भी जानते हैं. इन सांपों की दुनियाभर में खूब डिमांड है. भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (Wildlife Protection Act) 1972 के तहत इन सांपों को दुर्लभ करार दिया गया है. यह संरक्षित प्राणी हैं और इनके पालने पर पूरी तरह पाबंदी है. ये जहरीले और आक्रामक स्वभाव के नहीं होते.
…तो क्या सच में दोमुंहा होते हैं
एक्सपर्ट के मुताबिक, इंडियन रेड सैंड बोआ को लोग दोमुंहा सांप इसलिए कहते हैं क्योंकि कुछ हद तक ऐसा दिखता है कि इसके दोनों छोर पर मुंह हैं. बहुत से लोगों को यह गलतफहमी है कि सच में इस सांप के दोनों तरफ मुंह होते हैं और यह दोनों तरफ चल सकता है. मगर ऐसा नहीं है. इन सांपों और इन जैसे दिखने वाले अन्य सांपों को सपेरे पूंछ की तरफ अगरबत्ती से दाग कर आंखों जैसा निशान बनाते हैं, जिससे यह दोमुंहा दिखें.
अब जानिए इनका उपयोग क्या
दोमुंहा सांपों की खूब तस्करी होती है. दुनिया के कई देशों में लोग इसे पालतू जानवरों की तरह रखते हैं. इसके पीछे अंधविश्वास है. कहा जाता है कि इसे घर में रखने से किस्मत अच्छी होती है. बीमारियां दूर दूर तक नहीं फटकतीं. साथ ही इनका इस्तेमाल तांत्रिक क्रियाओं के लिए किया जाता है. कुछ लोगों का कहना है कि इन सांपों का मांस खाने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है. लेकिन इसका वैज्ञानिक आधार कोई नहीं है. प्राचीन मान्यताओं के कारण इनकी जमकर स्मगलिंग होती है. आज ये विलुप्त होने की कगार पर हैंं.