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UPSC Results: वो 16 होनहार जिन्होंने लहराया बिहार का परचम, नाम और रैंक जानिये

टना. यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2023 (UPSC CSE Results 2023) के परिणाम आ गए हैं. इस बार सिविल सेवा परीक्षा 2023 में 1, 016 अभ्यर्थियों ने सफलता प्राप्त की है. उत्तर प्रदेश के आदित्य श्रीवास्तव ने सिविल सेवा परीक्षा 2023 में प्रथम स्थान प्राप्त किया है.

वहीं, अनिमेष प्रधान और डोनुरु अनन्या रेड्डी को क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान मिला. बिहार के छात्रों ने इस बार भी बढ़िया प्रदर्शन किया है. खास तौर पर छोटे जिले व कस्बों की प्रतिभाओं ने सिविल सेवा में अपना परचम लहराते हुए प्रतिभा का लोहा मनवाया है. आइये बिहार के कुछ ऐसे ही सफल छात्रों के जिद, जुनून और प्रतिबद्धता के कारण मिली सफलता के बारे में जानते हैं.

बिहार के कई छात्र-छात्राओं ने यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त की है. इनमें सबसे पहला नाम समस्तीपुर के शिवम कुमार का है जो टॉप 20 में अपना स्थान बना पाए हैं.19वीं रैंक प्राप्त शिवम कुमार के पिता प्रदीप टेकरीवाल दवा दुकानदार हैं. माता संतोषी देवी गृहिणी हैं. शिवम फिलहाल नागपुर में इनकम टैक्स के पदाधिकारी हैं और वह बेंगलुरु में मर्सिडीज कंपनी में लगभग 2 साल तक नौकरी कर चुके थे. इसके बाद वह तैयारी में लग गए और सफल हुए.

नौकरी छोड़कर की तैयारी
23वीं रैंक गोपालगंज के सौरभ शर्मा का है जो सेवा निवृत अधीक्षण अभियंता जय किशोर शर्मा के पुत्र हैं. इन्होंने महज 22 वर्ष के उम्र में यूपीएससी की परीक्षा पास की है. वे वर्तमान में अपने पिता के साथ कुशीनगर में रह रहे हैं. गौरव ने बताया कि पिताजी किशोर शर्मा व मां प्रभात शर्मा व बड़े भाई ने मार्गदर्शन ने अहम भूमिका निभाई. 2022 में आईआईटी दिल्ली से सिविल इंजीनियरिंग कर चुके हैं. 8 महीने नौकरी के बाद इन्होंने यूपीएससी की तैयारी के लिए नौकरी छोड़ दी थी.

सेल्फ स्टडी पर रहा भरोसा
सेल्फ स्टडी पर फोकस कर औरंगाबाद के विरुपाक्ष विक्रम सिंह ने 49वां रैंक लाया. औरंगाबाद सदर प्रखंड के जम्होर गांव निवासी आईपीएस अधिकारी विनीत विनायक के पुत्र विरुपाक्ष विक्रम सिंह पटना हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता स्वर्गीय अभय कुमार सिंह के प्रपौत्र हैं. बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि वाले विरुपाक्ष विक्रम सिंह का बचपन से ही सपना था कि वह प्रशासनिक अधिकारी बनकर पूरे देश की सेवा करें. उन्होंने बताया कि सेल्फ स्टडी पर फोकस करते हुए तैयारी की और पूरे मन लगाकर जी जान से सफलता प्राप्त करने में जुट गए, जिसका परिणाम आज सामने है.

प्रिया के जज्बे की तारीफ हो
69वीं रैंक लाने वाली प्रिया रानी के जज्बे की तारीफ तो बनती ही है. फुलवारी शरीफ के कुरकुरी निवासी किसान अभय कुमार की पुत्री प्रिया रानी ने बताया कि बीटेक के दौरान केंपस प्लेसमेंट में उसने बेंगलुरु की एक कंपनी में 1 वर्ष के लिए काम किया था. इसके बाद तैयारी के लिए नौकरी छोड़ दी. इस क्रम में वर्ष 2021 में दूसरे प्रयास में इन्हें इंडियन डिफेंस सर्विस मिला. तीसरे प्रयास में सफलता नहीं मिलने के कारण मन दुखी हो गया. पिता के कहने पर चौथे प्रयास में साक्षात्कार के लिए पहुंची. इन्होंने बताया कि वह सुबह 4:00 बजे से उठकर पढ़ाई करती थीं.

चौथे प्रयास में मिली सफलता
सेल्फ स्टडी, ऑनलाइन क्लास कर पटना के सिद्धांत कुमार ने 114वीं रैंक प्राप्त की है. पटना के चित्रगुप्त नगर स्थित बैंक कॉलोनी के रहने वाले सिद्धांत कुमार ने बताया कि यूपीएससी में उन्हें चौथी बार में सफलता मिली, इससे पहले वह दो बार इंटरव्यू फेस भी कर चुके थे, लेकिन सफलता नहीं मिली थी. प्रतिदिन 8 से 10 घंटे सेल्फ स्टडी करने के साथ ही ऑनलाइन क्लास की भी मदद ली थी.

थर्ड अटेम्प्ट में मिली सफलता
ओबरा प्रखंड के किस रविंद्र चौधरी व भारती देवी के पुत्र डॉ प्रेम कुमार ने यूपीएससी की परीक्षा में 130वीं रैंक प्राप्त की है. 2023 की यूपीएससी परीक्षा में भी इन्होंने 677वीं रैंक प्राप्त की थी. इन्होंने इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस में योगदान दिया था. उनकी चाहत थी आईएएस बनने की और इन्होंने छुट्टी लेकर पढ़ाई को जारी रखा. 2013 में भागलपुर से एमबीबीएस करने के बाद में एम्स दिल्ली में नौकरी करने वालों पर इस्तीफा देकर यूपीएससी की तैयारी में जुट गए. तीसरे प्रयास में उनका आईएएस बनने का सपना साकार हुआ.

माता-पिता का सपना पूरा किया
दरभंगा के नितेश कुमार मिश्रा ने बताया कि उन्होंने इस की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर माता-पिता के सपने को पूरा किया है. नितेश कुमार मिश्रा की 158वीं रैंक मिली है. नितेश के पिता रामविलास मिश्रा और उनकी माता राम लड्डू मिश्र कामयाबी से काफी खुश हैं. घरवालों ने बताया कि बचपन से ही पढ़ने-लिखने में नितेश मेधावी थे. हमेशा से उन्हें प्रशासनिक सेवा में जाने की इच्छा थी, वर्तमान में नितेश पारिवारिक दायित्व के साथ विशाखापट्टनम में एग्रीकल्चर कंपनी में कार्य करते हुए कर रहे हैं, वहीं से यूपीएससी की तैयारी भी की और सफल भी हुए.

32 लाख रुपये की नौकरी छोड़ी
बांका के अपूर्व आनंद को 163वीं रैंक मिली है. उन्होंने कहा कि हालात बुरे थे, लेकिन उसे ही मैंने अपनी ताकत बना ली और सफलता प्राप्त की. भेखनपुर गांव के ओम नारायण शर्मा के पुत्र अपूर्व ने पहले से 32 लाख रुपए के पैकेज पर नौकरी की थी. बाद में वह छोड़कर चले आए थे. अपूर्व ने बताया कि 2015 में ही पिता की मौत हो गई थी उसके बाद उसका सफर आसान नहीं था.

मुजफ्फरपुर की शान बने साएम
मुजफ्फरपुर के साएम राजा को यूपीएससी में 188वीं रैंक मिली है. इन्हें यह सफलता उनके तीसरे प्रयास में मिली है. साएम ने दूसरे प्रयास में मेंस तक पहुंचे थे. साएम ने सनशाइन स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की उसके बाद भी आईआईटी बेंगलुरु से बीटेक की. वर्तमान में वह मल्टीनेशनल कंपनी में बतौर डाटा साइंटिस्ट कार्यरत थे. इस सफलता पर उन्होंने बताया कि कार्य के साथ पढ़ाई का उन्होंने सामंजस्य बनाए रखा. पिछली बार जहां चूक हुई उसे ठीक किया और प्रत्येक दिन का लक्ष्य निर्धारित कर उसका पूरा करते गए.

अनिकेत दुबे की प्रेरणादायक कहानी
गोपालगंज के अनिकेत दुबे की कहानी तो बड़ी ही प्रेरणास्पद है. वह लगातार फेल हुए पर हार नहीं मानी. अंत में 226वीं रैंक हासिल की और आईपीएस बने हैं. उन्हें यह सफलता लगातार उनके पांचवें प्रयास में मिली है. इनके पिता शंभू दुबे व माता अनीता देवी दोनों टीचर हैं. गोपालगंज शहर के हजियापुर के अनिकेत चार बार एग्जाम में पास नहीं होने पर भी हार नहीं मानी और जिद के साथ-साथ उनके जुनून ने देश की सर्वोच्च परीक्षा में सफलता दिलाई.

सारण के अजय यादव का कमाल
सारण जिले के अजय यादव ने 290वीं रैंक प्राप्त की है. अजय ने दूसरे प्रयास में सफलता प्राप्त की है. अजय यादव का पूरा परिवार इस समय पश्चिम बंगाल के वर्धमान में रहते रहता है, जहां इनका होटल चलता है. परिवार अत्यंत साधारण आर्थिक पृष्ठभूमि का है. अजय ने बताया कि वह पहले प्रयास में इंटरव्यू तक पहुंचे थे, लेकिन सफल नहीं हो सके थे. इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और तैयारी जारी रखी.

जहानाबाद के अनुभव बोले-लक्ष्य तय करें
309वीं रैंक प्राप्त करने वाले जहानाबाद के अनुभव ने बताया कि प्रतियोगिता से डरे नहीं और प्रयास करते रहे. अरवल जिले के मध्य विद्यालय काको प्रधानाध्यापक रंजीत कुमार व माधुरी देवी के पुत्र अनुभव ने कहा कि प्रतियोगिता परीक्षा से डरने की आवश्यकता नहीं, बल्कि लगातार कड़ी मेहनत के साथ प्रयास करते रहना चाहिए. अनुभव ने प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी में जुटे विद्यार्थियों के लिए कहा वे लक्ष्य निर्धारित कर परिश्रम करें.

औरंगाबाद की मोनिका ने किया कमाल
455वीं रैंक प्राप्त मोनिका श्रीवास्तव औरंगाबाद के सत्येंद्र नगर की रहने वाली हैं. मोनिका ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर बिहार का गौरव बढ़ाया है. इंजीनियर ब्रजेश श्रीवास्तव एवं प्रधानाध्यापिका भारती श्रीवास्तव की पुत्री मोनिका आईआईटियन रह चुकी हैं और बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में भी काम कर चुकी हैं.

जॉब के साथ की यूपीएससी की तैयारी
मुजफ्फरपुर के राहुल कुमार को 504वीं रैंक मिली है. उन्होंने बताया कि दसवीं तक की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने बिहार बोर्ड से इंटर किया. आईआईटी भुवनेश्वर से बीटेक करने के बाद 3 साल पहले उनका चयन डीआरडीओ में हुआ. वर्तमान में राहुल एनटीपीसी विंध्याचल में एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे. यहां जॉब के साथ-साथ उन्होंने तैयारी जारी रखी.

रक्सौल के रानू गुप्ता का आईपीएस में चयन
रक्सौल की रानू गुप्ता ने 536वीं रैंक प्राप्त की है. रक्सौल के वार्ड नंबर 6 में रोड निवासी रेणु देवी व संजय कुमार गुप्ता के पुत्र रानू गुप्ता ने आईपीएस के रूप में सफलता प्राप्त की है. रानू को यह सफलता अपने पहले प्रयास में ही मिली है. बेंगलुरु में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम करते हुए रानू ने परीक्षा में भाग लिया और सफलता हासिल कर रक्सौल के साथ पूर्वी चंपारण का मान बढ़ाया. रानू की प्रारंभिक पढ़ाई रक्सौल के हाई स्कूल से हुई है.

पत्रकारिता छोड़ी और अब बने अफसर
नरकटियागंज के शहंशाह सिद्दीकी को 762वीं रैंक मिली है. वह कभी एक न्यूज चैनल में कार्यरत थे. उन्होंने पत्रकारिता को अलविदा कह दिया और यूपीएससी में किस्मत आजमाने लगे. वक्त ने उन्हें पांच बार ठोकर मारी, लेकिन उन्होंने हौसला नहीं टूटने दिया और छठवीं बार में सफलता हासिल की. उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई नरकटियागंज में ही हुई है. 12वीं के बाद इन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की.

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