‘कानून का उपयोग अन्याय और उत्पीड़न के लिए…’ CJI चंद्रचूड़ ने क्यों कहा ऐसा, आखिर किसे दिया संदेश?

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने शनिवार को कहा कि ‘कानून का उपयोग न्याय के साधन के रूप में किया जाता है, लेकिन औपनिवेशिक काल हमें याद दिलाता है कि इसका उपयोग उत्पीड़न और अन्याय के साधन के रूप में भी किया जा सकता है.’

सीजेआई चंद्रचूड़ शनिवार को प्रयागराज में मध्यस्थता केंद्र के उद्घाटन और ‘उत्तर प्रदेश के न्यायालय’ नामक पुस्तक के विमोचन समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘हम इस बात पर ध्यान केंद्रित करते हैं कि अतीत में जो कुछ हुआ, उसकी विरासत के रूप में उत्तर प्रदेश आज क्या है, जिस पर हमने बहुत कुछ बनाया है. अतीत जिसे हमने कुछ हद तक त्याग दिया है, क्योंकि हमारी सभी अदालतें औपनिवेशिक काल की विरासत में शुरू हुईं.’

जब सीजेआई ने किया औपनिवेशिक काल का जिक्र

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सीजेआई चंद्रचूड़ ने इसके साथ ही कहा, ‘औपनिवेशिक काल हमें याद दिलाता है कि कानून का उपयोग न्याय के साधन के रूप में किया जा सकता है, लेकिन इसका उपयोग उत्पीड़न और अन्याय के साधन के रूप में भी किया जा सकता है. यह इस पर निर्भर करता है कि कानून किसके हाथ में है.’

समारोह को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि आपके पास वही भारतीय दंड संहिता (IPC) थी, जिसका उपयोग 1860 से किया गया था, और जिसे हम आज भी नया कानून लागू होने तक उपयोग करते हैं. वही कानून, जिसका इस्तेमाल स्वतंत्रता सेनानियों को जेल में डालने, शासन के विरोधियों को प्रताड़ित करने के लिए किया जाता था.

सीजेआई ने इसके साथ ही कहा, ‘उम्मीद है कि आज एक सक्षम बार के हाथों में नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, जो हमारे पास इलाहाबाद हाईकोर्ट में है- पूरी तरह से स्वतंत्र वकील, न्यायाधीश जो बार और सेवाओं से आए हैं, जो राज्य की शक्ति की कठोरता को कम करने के लिए उस कानून का उपयोग करते हैं.’

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *