Vijayakanth Dies: कैप्टन विजयकांत कैसे बने साउथ के सुपर स्टार, अद्भुत एक्टिंग के दम पर मिला यह बड़ा दर्जा

दक्षिण भारत के सुपरस्‍टार और DMDK चीफ विजयकांत ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया है। तमिल अभिनेता विजयकांत का बीमारी के बाद गुरुवार को चेन्नई में निधन हो गया।

एक्टर ने 71 वर्ष की आयु में अपने फैंस को हमेशा लिए अकेले छोड़कर चले गए। निधन से एक दिन पहले पार्टी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक पोस्ट के जरिये बताया था कि विजयकांत को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, जिसके बाद उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था और एक्टर को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। हॉस्पिटल में इलाज के दौरान ही एक्टर ने दम तोड़ दिया। सुपरस्‍टार के निधन पर देश के प्रधानमंत्री मोदी ने भी शोक प्रकट किया है। तमिल के सुपरस्‍टार विजयकांत ने लगभग 154 फिल्‍मों में काम किया था।

खबरों के मुताबिक, इससे पहले नवंबर में तबीयत बिगड़ने पर विजयकांत को चेन्नई के एमआईओटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। खांसी और गले में दर्द के कारण वह 14 दिनों तक डॉक्टरों की निगरानी में रहे थे। ‘कैप्टन’ के नाम से मशहूर विजयकांत का जीवन तमिल फिल्म इंडस्टी में बड़ा ही नाम रहा है।

154 फिल्मों में किया काम

एक्टर ने कई सुपरहिट फिल्में दी हैं। राजनीति में आने से पहले उन्होंने 154 फिल्मों में अपना योगदान दिया था। विजयकांत ने दक्षिण फिल्म उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव लाए।

कैप्टन विजयकांत साल 1979 से 2010 तक तमिल इंडस्टी में काफी ही ज्यादा एक्टिव रहे और उन्होंने खूब नाम भी कमाया। एक्टर का जन्म 25 अगस्त, 1954 को चेन्नई में हुआ था। एक्टर को बचपन से ही एक्टिंग का बड़ा ही ज्यादा शौक था। 154 फिल्मों में काम कर चुके एक्टर ने अपनी जिंदगी में कई सुपरहिट फिल्में दी हैं।

जीते नेशनल अवॉर्ड

उन्होंने सिर्फ तमिल फिल्मों में ही नहीं बल्कि हिंदी, तेलुगू में भी काम किया है। कई फिल्मों के लिए एक्टर को नेशनल अवॉर्ड मिल चुके हैं।

उन्होंने 2005 में देसिया मुरपोक्कू द्रविड़ कज़गम की स्थापना की। 2006 में, डीएमडीके ने सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा और कुल वोट शेयर का कम 10 प्रतिशत हासिल किया। उनका राजनीतिक करियर तब चरम पर था जब वह 2011 से 2016 तक तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता बने रहे थे।

विजयकांत ने 2011-2016 तक तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में कार्य किया। बाद में मतभेदों के कारण डीएमडीके ने एआईएडीएमके से नाता तोड़ लिया, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में डीएमडीके विधायकों ने इस्तीफा दे दिया।

इसलिए, पार्टी ने मुख्य विपक्षी दल होने का दर्जा खो दिया। उन्होंने विरुधाचलम और ऋषिवंडियम निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हुए दो बार विधानसभा के सदस्य के रूप में कार्य किया। डीएमडीके ने 2014 का संसद चुनाव एनडीए के साथ गठबंधन में लड़ा था, लेकिन उसे भारी हार का सामना करना पड़ा।

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