शिंदे सरकार रहेगी या जाएगी! महाराष्ट्र की राजनीति में क्या नया तूफान आने वाला है?
महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर नया तूफान आने के संकेत मिल रहे हैं. हालांकि ये पूरी तरह से विधानसभा अध्यक्ष के फैसले पर निर्भर होगा. दरअसल शिवसेना विधायक अयोग्यता मामले में फैसले की तारीख तय हो गई है. 10 जनवरी को शाम 4 बजे इस पर फैसला आना तय हो गया है. महाराष्ट्र के साथ ही पूरे देश की इस पर नजर है. माना जा रहा है कि यदि शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य घोषित किया गया तो सरकार के सामने नई मुसीबत खड़ी हो जाएगी.
शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता का फैसला विधान परिषद अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को लेना है. वह 10 जनवरी को शाम चार बजे विधानभवन में नतीजे की मुख्य बातों को पढ़ेंगे. इस परिणाम की विस्तृत प्रति बाद में दोनों समूहों को दी जाएगी.
क्या है महाराष्ट्र की राजनीति का गणित?
महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं, प्रदेश में सरकार बनाने के लिए जादुई 145 सीटों का आंकड़ा जरूरी होता है. अभी शिंदे सरकार के पास तकरीबन 166 विधायक हैं, जबकि महा विकास आघाड़ी के पास तकरीबन 122 विधायक हैं. यदि सत्ता पक्ष की बात करें तो शिंदे सरकार में सबसे बड़ा योगदान भाजपा का है, जिसके 105 विधायक हैं, जबकि शिवसेना के तकरीबन 40 विधायक शामिल हैं. इसके अलावा अजित पवार गुट के तकरीबन 32 विधायकों का समर्थन हासिल है. इसके अलावा कुछ अन्य विधायक भी सरकार के साथ हैं. इसका मतलब ये है कि यदि 16 विधायकों की अयोग्यता का फैसला उद्धव ठाकरे के पक्ष में जाता है तो महाराष्ट्र सरकार पर कोई खास असर नहीं पड़ने वाला. यदि शिंदे गुट के पक्ष में फैसला आया तो विधायकों लटक रही अयोग्यता की तलवार हमेशा के लिए हट जाएगी.
22 जून 2022 को दो धड़ों में बंट गई थी शिवसेना
शिंदे के नेतृत्व में विधायकों की बगावत के चलते जून 2022 में शिवसेना विभाजित हो गई थी. उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाने की समय-सीमा 31 दिसंबर, 2023 तय की थी, लेकिन उससे कुछ दिन पहले 15 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने अवधि को 10 दिन बढ़ाकर फैसला सुनाने के लिए 10 जनवरी की नयी तारीख तय की. जून 2022 में, शिंदे और कई अन्य विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह कर दिया था, जिसके कारण शिवसेना में विभाजन हो गया और महा विकास आघाड़ी सरकार गिर गई थी। महा विकास आघाडी में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस भी शामिल थी.
एक-दूसरे पर की थी कार्रवाई की मांग
शिंदे और ठाकरे गुटों द्वारा दलबदल रोधी कानूनों के तहत एक दूसरे के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की गईं. विधान भवन के अधिकारियों ने कहा, फैसला 10 जनवरी को शाम 4 बजे के बाद आने की उम्मीद है. विधानसभा अध्यक्ष का कार्यालय फैसले को अंतिम रूप दे रहा है. उन्होंने कहा फैसले का महत्वपूर्ण हिस्सा उस दिन सुनाए जाने की संभावना है, जबकि विस्तृत आदेश बाद में दोनों समूहों को दिया जाएगा. दोनों गुटों के पदाधिकारियों ने कहा कि विधानसभाध्यक्ष के प्रतिकूल फैसले की स्थिति में वे उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे.
शिंदे गुट के पास है पार्टी का नाम और चिह्न
जून 2022 में विद्रोह के बाद शिंदे भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने थे. पिछले साल जुलाई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का अजित पवार गुट उनकी सरकार में शामिल हो गया था. निर्वाचन आयोग ने शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को ‘शिवसेना’ नाम और तीर धनुष चुनाव चिह्न दिया, जबकि ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट को शिवसेना (यूबीटी) नाम और चुनाव चिह्न जलती हुई मशाल दिया गया था.