धरती अगर एक सेकेंड के लिए भी घूमना बंद कर देगी तो क्या होगा?
छोटे बच्चों के खेलने के पार्क में एक झूला होता है, जो तेजी से घूमता है. नाम है – ‘मेरी गो राउंड’. बच्चे मजे-मजे में उसकी चक्करघिन्नी बांध देते हैं. इस झूले को झटके से रोक दें, तो सभी को तेजी से धक्का लगता है.
लोग गिरते हैं और हम मजे में हंस देते हैं. लेकिन अगर हम आपसे ये कहें कि हम सिर्फ कभी-कभी नहीं, बल्कि हमेशा से ही इस झूले पर सवार है, तो आपको कैसा लगेगा? जी हां, इस झूले का नाम है – पृथ्वी. यानी कि हमारी ‘धरती’.
हम सभी जानते है एक दिन में 24 घंटे होते है. ठीक बात. ये 24 घंटे का जो समय है, वो पृथ्वी को अपनी धुरी पर एक चक्कर पूरा करने में लगता है. पृथ्वी भी इस झूले की तरह गोल-गोल घूमती है.
मेरी गो राउंड झूला
ये छोटे बच्चे जब बड़े हो जाते है, तो फिर एक सवाल करते हैं, हम भी करते हैं – कि मान लो अगर पृथ्वी घूमना बंद कर दे तो क्या होगा? हमेशा के लिए नहीं, चलिए एक सेकंड के लिए ही सही. ऐसे-ऐसे सवाल वैज्ञानिकों के मन में आते रहते हैं. सवाल आते हमारे मन में भी हैं, पर सटीक जवाब तो उन्हीं को मालूम है.
अगर ऐसा हुआ तो बहुत गंभीर समस्या पैदा हो जाएगी. इस एक सेकंड में क्या-क्या हो जाएगा, कैसी-कैसी प्रलय हमारे सिर पर आ बरसेंगी, ये जानते हैं आसान शब्दों में.
पृथ्वी हमारा वाहन
सोचिए आप एक गाड़ी में सवार हैं. मजे से रस्ते पर चले जा रहे हैं. अचानक ड्राइवर जोर से ब्रेक लगा दे तो क्या होगा. अगर आपने सीट बेल्ट नहीं पहनी होगी तो झटका लगने से आगे की ओर सीधे जा गिरेंगे.
अब इस एक्सपेरिमेंट को या इस सोच को बड़े स्केल पर ले जाकर फिर से विचार करते है. चलिये अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखते है! यहां पृथ्वी हमारा वाहन है और इसके सहारे हम लगातार घूम रहे हैं. पृथ्वी सूरज का चक्कर तो काटती ही है, साथ ही अपने ध्रुव पर घूमती भी है.
पृथ्वी अपने ध्रुव पर किस गति से घूमती है?
ये गति है लगभग – 1700 km/hr ! इक्वेटर (भूमध्य रेखा) के नजदीक ये रफ्तार 1700 km/hr के करीब है, पर जैसे-जैसे नॉर्थ और साउथ पोल की तरफ जाएंगे तो ये रफ्तार कम होती जाएगी. हमारे पास यहां कोई सीट बेल्ट मौजूद नहीं है. अगर पृथ्वी का अपने ध्रुव पर चक्कर लगाना मात्र एक सेकंड के लिए भी रुक गया, तो जो भी लोग इक्वेटर के नजदीक रहते है, उन सभी को अचानक 1700 km/hr की रफ्तार से पूर्व दिशा की ओर झटका लगेगा. कुछ ऐसा, जिसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते.
इस रफ्तार का हमें पता क्यों नहीं चलता?
हमारे वातावरण की हर एक चीज, जैसे समुद्र का पानी, हवा, और हम खुद, सभी लोग एक साथ पृथ्वी पर इसी रफ्तार से गोल-गोल घूम रहे हैं. इसका पता हमें इसलिए नहीं चलता क्योंकि हर एक चीज इसी गति से सवारी कर रही है. इसलिए हमें कभी इसका आभास नहीं होता है.
न्यूटन के नियम लागू होते हैं
अब आते हैं न्यूटन के नियमों पर. आप सबने फिजिक्स की किताबों में इसे पढ़ा होगा. न्यूटन का पहला नियम यही है कि जो चीज रुकी हुई है, वो रुकी हुई ही रहना चाहती है. और जो चल रही है वो चलते रहना चाहती है, बशर्ते कि कोई बाहरी फोर्स न लग रही हो. यही वजह है कि गाड़ी में ब्रेक लगने पर हमें झटका लगता है. और इसी कारण से अगर पृथ्वी ने घूमना बंद किया तो हमें भी जोर का झटका लगेगा. बहुत जोर का.
हम तो हवा में उड़ ही जाएंगे लेकिन जो हवा है वो भी इतनी तेज चलेगी कि सब इमारतों को अपने साथ उड़ा ले जाएगी. कोई भी सामान्य सा इन्फ्रास्ट्रक्चर इस रफ्तार से बह रही हवा को झेलने के काबिल नहीं बना है. इसमें कोई शक नहीं है कि हम में से एक भी व्यक्ति इस प्रलय को नहीं झेल पाएगा. हम सभी सुविधाएं सिर्फ एक सेकंड में ही खो सकते हैं.
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अंतिम सवाल, क्या सच में ऐसा हो सकता है?
चलिए अब अंतिम सवाल की ओर रुख करते हैं. क्या ऐसा सच में हो सकता है कि पृथ्वी घूमना बंद कर दे? एक सेकेंड के लिए या हमेशा के लिए ही? अभी हमारी धरती अपने ध्रुव का चक्कर काटने में सटीक 23 घंटे, 56 मिनट और 4 सेकेंड का समय लेती है. और ये समय धीरे-धीरे बढ़ रहा है. यानी घूमने की रफ्तार कुछ कम हो रही है.
हमारे चाँद और पृथ्वी का जो सिस्टम है जिसके अंतर्गत चाँद हमारे चक्कर काटता है, उसी के कारण पृथ्वी के घूमने की रफ्तार कम हो रही है. विज्ञान में इसे ‘Moon earth tidal interaction’ विषय के अंदर पढ़ा जाता है.
घूमने की रफ्तार कितनी कम हो रही है?
100 साल की अवधि में मात्र 2 मिलीसेकंड! बहुत छोटा सा फर्क है ये. इतना कि इस पर ध्यान देने की भी जरूरत नहीं है. इसलिए ज्यादा टेंशन नक्को. चिल!