जब बिना गुलदस्ता लिये PM से मिलने पहुंचे, विनय सहस्रबुद्धे ने सुशासन महोत्सव में सुनाया वो वाकया

सुशासन महोत्सव के अंतिम दिन रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी के वाइस प्रेसिडेंट विनय सहस्रबुद्धे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का एक प्रेरक और रोचक प्रसंग सुनाया. उन्होंने बताया कि हमारे प्रधानमंत्री कितने व्यावहारिक और मधुर व्यक्तित्व वाले शख्स हैं ये हमने उनसे मिलकर समझा है. उनसे मिलने का अवसर मिला और अनोखा जीवन संदेश मिला. विनय सहस्रबुद्धे ने बताया कि ये वाकया तब का है जब वो प्रधानमंत्री बने थे. मुझे इतने बड़े पद पर बैठे किसी बड़ी हस्ती से मिलने का कोई अनुभव नहीं था लिहाजा मन में कई तरह के संकोच थे.

विनय सहस्रबुद्धे ने बताया कि जब मैं पीएम हाउस के वेटिंग हॉल में बैठा था तब मुझे अचानक ध्यान में आया कि मैं उनके लिए कोई फूल या गुलदस्ता लेकर नहीं आया. मैं मन ही मन खुद को कोसता रहा. सोचता रहा कि कैसे भूल हो गई. मुझे नहीं पता कि प्रधानमंत्री कितने व्यावहारिक हैं. इसके बाद मुझे जैसे ही अंदर मिलने के लिए बुलाया गया कि तो मैंने उनसे कहा- क्षमा करें मैं आपके लिए कोई फूल लेकर नहीं आ सका.

प्रधानमंत्री मोदी ने दिया ये जवाब

विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि मेरी इतनी बात सुनने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने मेरी पीठ पर हाथ रखा और कहा- बुद्धिमान हो. इसके बाद वो खामोश हो गये. विनय सहस्रबुद्धे ने आगे कहा- तो ऐसी दृष्टि थी उनकी. उनका आशय ये था कि अच्छा किया फूल नहीं लाये. क्योंकि इसकी कोई जरूरत नहीं. ये फिजूलखर्ची है. आपको याद होगा उन्होंने बाद में कहा था कि उपहार के तौर पर किताब दिया करें. इसके बाद पुस्तकों के उपहार का चलन शुरू हो गया.

अच्छा दिखने से ज्यादा जरूरी है अच्छा होना

विनय सहस्रबुद्धे ने इस दौरान युवाओं को प्रेरित करने वाली भी कई अहम बातें कहीं. उन्होंने कहा कि आज अच्छा दिखना ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है, अच्छा होना प्राथमिकता नहीं है. उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि आज इसीलिए तो ब्यूटी पार्लरों की संख्या बढ़ने लगी है. उन्होंने कहा कि भारतीय सिद्धांत कहता है- सत्यम शिवम सुंदरम, सुंदरम शिवम सत्यम कभी नहीं कहता. मतलब ये कि सत्य ही शिव है और शिवत्व में ही सुंदरता है.

जेंडर जस्टिस को लेकर खास अपील की

विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कई ऐसे शब्द दिये हैं जो हमें प्रेरित करते हैं. उन्होंने कहा कि कोविड काल में हमलोग हताशा के दौर से गुजर रहे थे, उस वक्त उन्होंने आत्मनिर्भरता शब्द दिया. उन्होंने दिव्यांग शब्द दिया. उन्होंने विकसित भारत शब्द किया. इन सबके पीछे एक सोच है. इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर जेंडर जस्टिस को लेकर बड़ी बात कही थी. उन्होंने देश के मां-बाप से कहा था कि अपनी बेटी के साथ साथ बेटे पर भी अनुशासन लगाएं.

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