देश का सबसे अमीर गांव कौन-सा है, भुखमरी से निकल यहां के लोग कैसे बने करोड़पति?

भारत में एक गांव ऐसा भी है, जिसे करोड़पतियों का गांव कहा जाता है. दरअसल, इस गांव की कुल आबादी 1250 लोगों से कुछ ही ज्‍यादा है. वहीं, गांव में 305 परिवार रहते हैं. इनमें से 80 परिवार करोड़पति हैं. वहीं, 50 परिवारों की सालाना आय 10 लाख रुपये से ज्‍यादा है. हम महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के हिवरे बाजार गांव की बात कर रहे हैं. इसे आज भारत का सबसे अमीर गांव भी कहा जाता है. अब आप सोच रहे होंगे कि इस गांव के लोग या तो खानदानी अमीर होंगे या कारोबारी होंगे. लेकिन, मजेदार बात ये है कि गांव के लोगों की आमदनी का मुख्‍य स्रोत खेती है. यहां के लोगों ने एकसाथ मिलकर कृषि पर जोर दिया और गांव की जीडीपी बढ़ा ली.

हिवरे बाजार गांव में एक समय ऐसा भी था, जब ज्‍यादातर लोगों के सामने भुखमरी के हालात थे. गांव में हर तरफ गरीबी ने पैर पसार रखे थे. लिहाजा, गांव के लोग रोजी-रोटी की तलाश में हिवरे बाजार से शहरों का रुख करने लगे थे. खराब हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1990 में यहां के 90 फीसदी परिवार गरीब थे. दरअसल, इस गांव पर 80 और 90 के दशक में भयंकर सूखे की मार पड़ी. स्थिति इतनी खराब हो गई कि पीने तक के लिए पानी नहीं बचा था. उस समय गांव में 93 कुएं थे. भूजल स्‍तर भी 110 फीट नीचे तक चला गया था. कुछ लोग अपने परिवारों के साथ गांव से पलायन कर गए. फिर इस गांव के लोगों ने अपनी किस्मत खुद चमकाने का फैसला किया.

लोगों ने मिल-जुलकर बदली गांव की तस्‍वीर

सूखे से निपटने के लिए 1990 में एक समिति ज्वाइंट फॉरेस्ट मैनेजमेंट कमेटी बनाई गई. इसके तहत गांव में कुएं खोदने और पेड़ लगाने का काम श्रमदान के जरिए चलाया गया. महाराष्‍ट्र रोजगार गारंटी योजना के तहत इस काम को फंड दिया गया. इसके बाद 1994-95 में आदर्श ग्राम योजना आने के बाद इस काम को रफ्तार मिल गई. इसके बाद समिति ने हिवरे गांव में ज्‍यादा पानी की जरूरत वाली फसलों की बुआई पर पाबंदी लगा दी. लोगों की मेहनत और एकजुटता का नतीजा है कि अब गांव में 300 से ज्‍यादा कुएं हैं. वहीं, ट्यूबवेल खत्‍म होने के कारण भूजल स्‍तर ऊपर उठकर 30 फीट पर आ गया है.

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