कौन हैं लक्ष्मीकांत दीक्षित, राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के प्रमुख पुजारी के लिए चयन, वाराणसी से क्या है कनेक्शन

500 वर्षों के संघर्ष के बाद राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के भव्य आयोजन की तैयारी अंतिम चरण में है। इस आयोजन में हर कोई शामिल हो कर इतिहास का हिस्सा बनना चाहता है। ऐसे में लोग उनके बारे में भी जानना चाहते है जो इस धार्मिक अनुष्ठान का प्रमुख हिस्सा बन रहे है। इस अनुष्ठान को पूरा करने के लिए 121 पुजारियों की पूरी टीम धार्मिक अनुष्ठान को पूरा करेंगे। काशी के विद्वान लक्ष्मीकांत दीक्षित का चयन प्रमुख पुजारी के रूप में किया गया है। लक्ष्मीकांत दीक्षित उन 5 लोगों में शामिल है, जो रामलला की प्राण प्रतिस्ठा के दौरान मुख्य गर्भगृह में मौजूद रहेंगे।

प्रधान अर्चक के तौर पर प्राण प्रतिस्ठा में शामिल लक्ष्मीकांत दीक्षित का परिवार कई पीढ़ियों से काशी में रहता आया है। मूल रूप से महाराष्ट्र के शोलापुर जिले के जेऊर के रहने वाले लक्ष्मीकांत दीक्षित का परिवार कई पीढ़ियों पहले काशी में आ कर बस गए। लक्ष्मीकांत दीक्षित के पूर्वजों ने नागपुर और नासिक रियासतों में भी धार्मिक अनुष्ठान कराए हैं। लक्ष्मी कांत दीक्षित के बेटे सुनील दीक्षित ने बताया कि उनके पूर्वजों ने ही शिवजी महाराज का राज्याभिषेक कराया था।

पूजा पद्धति में सिद्धहस्त है लक्ष्मीकांत दीक्षित

लक्ष्मीकांत दीक्षित वाराणसी के मीरघाट स्थित सांगवेद महाविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य हैं। इस महाविद्यालय की स्थापना काशी नरेश के सहयोग से की गई थी। काशी में यजुर्वेद के अच्छे विद्वानों में लक्ष्मीकांत दीक्षित की गिनती होती है। इतना ही नहीं लक्ष्मीकांत दीक्षित पूजा पद्धति में भी सिद्धहस्त माने जाते हैं। लक्ष्मीकांत दीक्षित ने वेद और अनुष्ठानों की दीक्षा अपने चाचा गणेश दीक्षित भट्ट से ली थी।

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