कौन है टीना, जिसके चलते इतना महंगा हो गया सोना? इसी के चक्कर में पगलाए निवेशक!

ई दिल्ली. 12 अप्रैल को सोने के भाव ने जो उच्चतम स्तर बनाया था, वह फिलहाल बरकरार है. एमसीएक्स पर ₹73,958 का स्तर छूने के बाद आज इसका भाव 70,725 के आसपास है और ट्रेडिंग जारी है. एक मार्च (₹63,563) के बाद गोल्ड प्राइस में जबरदस्त तेजी आई. पहले तो लोगों को इस तेजी की वजह समझ में नहीं आई. कुछ लोग इसका कारण बिगड़ते वैश्विक माहौल को बता रहे थे तो कुछ मध्य पूर्व और यूक्रेन में हो रहे युद्ध को मान रहे थे.

मगर सच तो यह है कि टीना फैक्टर (TINA Factor) के चलते सोने के भाव में इतनी चमक देखने को मिली.

आखिर ये टीना है कौन और किस तरह से लोग टीना के चलते धड़ाधड़ गोल्ड खरीद रहे हैं? चलिए इसके बारे में जानते हैं. पहली बात तो ये कि भारत में लोगों पर टीना का कोई खास असर नहीं है. भारत के पड़ोसी देश चीन के लोगों के दिलो-दिमाग पर टीना का बेहद प्रभाव देखने को मिला है. कुछ दिन पहले रिपोर्ट आई कि 2023 में चीन सोने का सबसे बड़ा खपतकार बन गया है. चीन के लोगों ने कुल 630 टन सोना खरीदा, जबकि भारतीयों ने 562.3 टन.

क्या है टीना फैक्टर
टीना (TINA) का मतलब है देअर इज़ नो अल्टरनेटिव (There is no alternative). दरअसल, भविष्य की संभावित अनिश्चिताओं के डरे हुए लोग निवेश के सबसे सुरक्षित इंस्ट्रूमेंट सोने में निवेश करना बेहतर समझ रहे हैं. लोगों को लग रहा है कि दूसरा कोई विकल्प है ही नहीं (There is no alternative). इसी वजह ने चीन में रिटेल दुकानदारों, निवेशकों, फ्यूचर ट्रेडरों, केंद्रीय बैंकों को सोना खरीदने को मजबूर कर दिया. परिणामस्वरूप गोल्ड के भाव भागते ही रहे.

बार और कॉइन की जबरदस्त डिमांड
चीन में सोने के आभूषण, बार (Bars) और सिक्कों की खरीद में पहली बार इतना बड़ा आंकड़ा देखने को मिला है. बीजिंग की सोने के गहनों की मांग 10 प्रतिशत तक बढ़ गई है, जबिक भारत में यह मांग 6 प्रतिशत तक कम हुई है. चीन में बार और कॉइन में निवेश की बात करें तो यह 28 प्रतिशत तक बढ़ी है.

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में हॉन्ग कॉन्ग के प्रीशियर मेटल्स इनसाइट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर फिलिप लैपविज (Philip Klapwijk) के हवाले से एक अहम बात छापी है. उन्होंने हिंट दिया है कि आने वाले कुछ समय में यह भाव और भी बढ़ सकते हैं. उन्होंने कहा, “मांग और बढ़ने के आसार नजर आते हैं.”

बता दें कि पिछले कुछ वर्षों से चीन में प्रॉपर्टी सेक्टर बेहाल है, शेयर मार्केट काफी उतार-चढ़ाव भरी रही है मगर कोई अच्छा अपमूव नजर नहीं आया है, साथ ही चीन की करेंसी युआन भी डॉलर के मुकाबले कमजोर पड़ी है. इन सभी फैक्टर्स ने निवेशकों का रुख सोने की तरफ मोड़ दिया है. सबकुछ देखने के बाद उन्हें टीना ही समझ में आता है, टीना मतलब दूसरा कोई (बेहतर) विकल्प है ही नहीं.

लैपविज को भी लगता है कि चीन में फिलहाल दूसरे विकल्प नजर नहीं आते. एक्सचेंज और कैपिटल कंट्रोल के कारण आप किन्हीं दूसरे बाजारों में पैसा डालने के बारे में सोच नहीं सकते. हालांकि, चीन किसी भी दूसरे देश के मुकाबले ज्यादा गोल्ड निकलता है, फिर भी ज्यादा निर्यात की आवश्यकता है. पिछले 2 वर्षों में विदेशों में 2,800 टन सोना खरीदा गया है, और यह दुनियाभर के एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) को बैक करने वाले कुल गोल्ड से कहीं ज्यादा है.

तो क्या यह निवेश का सही समय है?
कमोडिटी एक्‍सपर्ट अजय केडिया के हवाले से न्यूज18 हिन्दी पहले भी इस बारे में छाप चुका है. गोल्ड खरीदने पर अजय केडिया का कहना है कि ईरान और इजरायल के बीच जंग से हालात और बदतर होते जा रहे हैं. 2024 की शुरुआत से ही गोल्‍ड और सिल्‍वर में तेजी आ रही है. आगे भी यह सिलसिला जारी रहेगा. अभी भूराजनैतिक तनाव और तमाम देशों के केंद्रीय बैंक की ओर से गोल्‍ड की खरीदारी की वजह से डिमांड बढ़ती जा रही है, जो इसकी कीमतों में भी उछाल का सबसे बड़ा कारण है.

अजय केडिया ने कहा, जाहिर है कि अगर किसी को ज्‍वैलरी खरीदना जरूरी है तो बिलकुल खरीदना चाहिए, क्‍योंकि अभी कीमतें नीचे आने का इंतजार करना सही नहीं है. सोने की कीमतों में थोड़ी-बहुत नरमी अगस्‍त के बाद ही दिखेगी, लेकिन वह भी अस्‍थायी होगी.

बिजनेस टुडे में माय वेल्थ ग्रो डॉट कॉम के को-फाउंडर हर्षद चेतनवाला के हवाले से लिखा गया है कि निवेशक आम तौर पर पीली धातु को खरीदने में रूचि लेते हैं. लेकिन लालच में खरीदना वह परिणाम नहीं दे सकता, जो इच्छित होता है, क्योंकि गोल्ड का भाव आम तौर पर काफी समय तक स्थिर रहता है. उन्होंने सोने के आभूषणों में पैसा डालने की बजाय इसे पोर्टफोलियो में रखने की सलाह दी.

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