किसी का कोई भगवान हो हमारा भगवान तो PDA है…निमंत्रण पर ऐसा क्यों बोले अखिलेश?
अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह है. कार्यक्रम की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई दिग्गज शिरकत करेंगे. हालांकि कार्यक्रम के निमंत्रण को लेकर बयानबाजी भी खूब चल रही है. समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने अब इस पर टिप्पणी की है. उन्होंने मंगलवार को कहा कि जब भगवान बुलाएंगे तब जाएंगे. किसी का कोई भगवान हो, हमारा भगवान तो PDA है. बता दें कि यहां पीडीए का मतलब है पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक है. 2024 लोकसभा चुनाव के लिए अखिलेश का फोकस इसी पर है.
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को अभी तक प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का निमंत्रण नहीं मिला है. यही वजह है कि उनका कहना है कि भगवान जब बुलाएंगे तब जाएंगे. इससे पहले भी उन्होंने इस मामले पर कहा था कि जब भगवान की मर्जी होती है तभी उनके दर्शन होते हैं, भगवान की मर्जी के बिना कोई उनके दर्शन नहीं कर सकता. उन्होंने ये भी कहा था कि क्या पता कब किसको भगवान का बुलावा आ जाए, ये कोई नहीं कह सकता.
‘राम भक्तों पर गोलियां चलवाने वालों को निमंत्रण नहीं’
कुछ दिन पहले ही कन्नौज से बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक ने राम मंदिर ट्रस्ट को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि जिन लोगों ने राम भक्तों पर गोलियां चलवाई थीं उन्हें कार्यक्रम में नहीं बुलाया जाए. उन्होंने ये भी कहा कि जिस तरह से उस दौरान लोगों की बेरहमी से हत्याएं की गई थी उसे भुलाया नहीं जा सकता.
‘राम राज्य की बात करने वाली बीजेपी भेदभाव करती है’
इस बात को लेकर समाजवादी पार्टी ने काफी नाराजगी जाहिर की थी. अखिलेश की पत्नी और मैनपुरी से सांसद डिंपल यादव ने सुब्रत पाठक की बात का जवाब दिया. उन्होंने इसे बीजेपी की ओछी मानसिकता कहा था. उन्होंने ये भी कहा था कि राम राज्य की बात करने वाली बीजेपी हमेशा लोगों के साथ भेदभाव करती है. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि अगर उन्हें निमंत्रण नहीं मिलता तो बाद में भगवान राम के दर्शन करने अयोध्या जाएंगी.
कई लोगों को नहीं मिला निमंत्रण
दरअसल राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में कई लोगों को निमंत्रण नहीं दिया गया है, जिसकी वजह से इस मामले में जमकर सियासत हो रही है. विपक्षी दल बीजेपी पर राम मंदिर को लेकर राजनीति करने का आरोप लगा रही है. वहीं बीजेपी इसे आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सबसे बड़ा हथियार मान रही है.