दंगे और आंदोलन के समय क्यों बंद किया जाता है इंटरनेट, राज्यसभा में सरकार ने दिया था ये जवाब
टीवी, न्यूज वेबसाइट और अखबारों में आप आए दिन सुनते और पढ़ते हैं कि सरकार ने फला जगह पर तनाव के चलते इंटरनेट और बल्क SMS बंद कर दिए हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि सरकार तनाव वाली जगह पर आखिर सबसे पहले इन्हीं चीजों पर क्यों पाबंदी लगाती है.
अगर आपने कभी इसके बारे में सोचा नहीं है, तो हम आपको इंटरनेट और बल्क SMS पर लगने वाली पाबंदी के बारे में सरकार की ओर राज्यसभा में दिए गए जवाब के बारे में बता देते हैं. साथ ही आपको बताएंगे कि तनाव वाली जगहों पर सबसे पहले इंटरनेट और बल्क SMS पर पाबंदी क्यों लगाई जाती है.
2021 में राज्यसभा में तत्कालीन गृह राज्य मंत्री किशन रेड्डी ने एक सवाल के जवाब में लिखित जवाब दिया था कि तनाव और दंगों के दौरान आपातस्थिति को काबू में करने के लिए इंटरनेट और बल्क SMS को बंद किया जाता है. क्योंकि ऐसे समय में साइबर स्पेस में सूचना बहुत तेजी से फैलती है, जिससे कोई भी शरारती तत्व गलत सूचनाओं को वायरल करके दूसरे स्थानों का माहौल खराब कर सकता है.
उन्होंने कहा था कि तनाव एवं दंगों के दौरान, सार्वजनिक सुरक्षा को बनाए रखने एवं आपात स्थिति को टालने के लिए राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के निर्दिष्ट अधिकारी दूरसंचार सेवाओं और इंटरनेट को बंद कर देते हैं. यह दूरसंचार सेवाओं का अस्थायी निलंबन (संशोधन) नियम 2020 की प्रक्रिया के तहत आता है. रेड्डी ने कहा था कि इंटरनेट बंद किए जाने के बारे में उनके मंत्रालय द्वारा केंद्रीकृत आंकड़े नहीं रखे जाते.
कौन जारी करता है इंटरनेट बंद करने का आदेश
तनाव की स्थिति में शहर के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट इंटरनेट और बल्क SMS को बंद कर सकते हैं. इसके लिए धारा 144 का हवाला भी दिया जा सकता है. ये धारा तभी लगाई जाती है जब किसी शहर में तनाव उत्पन्न होने की आशंका होती है और इसमें राजनीतिक सभा और भीड़ जोड़ने पर प्रतिबंध होता है.