पोस्ट ऑफिस का नया कानून डाकघरों के झुलते डब्बों में फूंक पाएगा जान?

पोस्ट ऑफिस का नया कानून डाकघरों के झुलते डब्बों में फूंक पाएगा जान?

लोकसभा ने 18 दिसंबर को डाकघर विधेयक, 2023 (Post Office Bill) पारित कर दिया. यह विधेयक भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898 की जगह लेगा. सबसे पहले इस बिल को 10 अगस्त को मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में पेश किया गया था, जिसे 4 दिसंबर को ऊपरी सदन से पहली बार मंजूरी मिली और इसके बाद संसद के दोनों सदनों में इसे सफलतापूर्वक पारित कर दिया गया.

इस विधेयक को लाने का मकसद भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898 को निरस्त करना और भारत में पोस्ट ऑफिस या डाकघर से जुड़े कानून में संशोधन लाना है. केंद्र सरकार ने इस कानून के जरिए पोस्ट ऑफिस के कई प्रक्रियाओं को सरल बनाने की कोशिश भी की है.

इतना ही नहीं पुराने कानून की तुलना में नए कानून में केंद्र सरकार की भूमिका को विस्तार से परिभाषित किया गया है और डाक सर्विस के महानिदेशक (डायरेक्टर जनरल) को और भी ज्यादा सशक्त बनाने की कोशिश की गई है. यह विधेयक डाक लेखों के अवरोधन, दायित्व छूट और कुछ अपराधों और दंडों को हटाने जैसे प्रमुख पहलुओं को संबोधित करता है.

ऐसे में इस स्टोरी में विस्तार से समझते हैं कि क्या है डाकघर विधेयक?

हमारे देश में डाक घरों के बारे में शायद ही कोई नहीं जानता होगा. डाकघर, डाकियां, चिठ्ठियां यही सब सुनते हुए हमारा बचपन गुजरा है. धीरे धीरे चिट्ठियों की जगह समार्ट फोन और इंटरनेट ने लेनी शुरु कर दी है. लेकिन देश में डाकघर आज भी सर्विस देत हैं, डाकघर विधेयक 2023, इसी भारत के 125 साल पुराने डाकघर कानून के संशोधन में लाया गया है.

इस विधेयक के बाद डाक घर के सर्विस में अलग-अलग तरह की नागरिक-केंद्रित सेवाओं की डिलीवरी को शामिल किया जाएगा.

बिल के प्रमुख प्रावधान

1. विधेयक का प्रावधान केंद्र सरकार को अधिसूचना के माध्यम से अधिकारियों को राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, आपातकाल या प्रचलित कानूनों के उल्लंघन से संबंधित कारणों से वस्तुओं को रोकने, खोलने या हिरासत में लेने का अधिकार देने की अनुमति देता है

2. नए विधेयक में डाक विभाग के कर्मचारियों को भी कुछ लाभ या रियायतें दी गई है. अभी जो नियम है उसके अनुसार डाक सर्विस से पार्सल भेजने वाले कस्टमर अपने पार्सल के खोने, टूट जाने या फिर देर से पहुंचने पर डाक अधिकारी के खिलाफ केस कर सकते हैं. लेकिन, डाकघर विधेयक 2023 में ऐसी स्थिति में डाक अधिकारी को सुरक्षा दी गई है. इस विधेयक में ऐसा प्रावधान बनाया गया कि काम के दौरान अगर ऐसा कुछ होता है तो कस्टमर डाक अधिकारियों के खिलाफ किसी तरह का केस नहीं किया जा सकेगा.

3. यह विधेयक अत्यधिक प्रतिस्पर्धी (Highly Competitive) घरेलू कुरियर सेक्‍टर में अपनी सर्विस की कीमतें तय करने में डाक विभाग को फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करता है.

4. इस नए विधेयक में एक और जरूरी बात ये है कि अब से पोस्ट ऑफिस को डाक टिकट जारी करने का अधिकार मिलेगा. नए विधेयक के तहत डाक अधिकारी की नियुक्ति केंद्र सरकार करेगी.

विपक्ष ने प्राइवेसी को लेकर जताई चिंता

इस विधेयक को लेकर एक तरफ जहां केंद्र सरकार का कहना है कि वह डाकघर के सेवाओं को और ज्यादा बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ आप, राकांपा, अन्नाद्रमुक, तेदेपा और वाम दलों जैसे तमाम विपक्षी दलों ने इसे लोकर चिंता जाहिर की हैं. बहस के दौरान इन विपक्षी पार्टियों ने केंद्र पर आरोप लगाया कि यह संघीय सिद्धांतों के खिलाफ है.

आप नेता राघव चड्ढा ने नए विधेयक को लेकर कहा कि इस विधेयक में पार्सल को रोकने या खोलने के अधिकार को लेकर कोई प्रक्रिया नहीं बताया गया है.

वहीं कांग्रेस नेता शशि थरूर कहते हैं कि भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898 भले ही अंग्रेजों के समय का है लेकिन तब के कानून में जिम्मेदारी थी, लेकिन अभी जो इसके संशोधन में नया विधेयक लाया गया है उसके कानून में जिम्मेदारी को खत्म कर दिया गया है. उदाहरण के तौर पर अगर किसी व्यक्ति को नुकसान होता है तो इस विधेयक में उसकी भरपाई को लेकर कहां और कैसे शिकायत करनी है इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है. एक तरह से विधेयक में जनता को उनके शिकायत करने के हक से रोका गया है.

उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार इस विधेयक को लाकर नागरिकों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है. इस कानून को लाकर केंद्र सरकार सेवाओं के दौरान होने वाली चूक से बचना चाहती है. ऐसे में अगर किसी को शिकायत करनी है तो उनके पास सिर्फ कोर्ट में जाना ही एक मात्र विकल्प रह गया है और अगर ऐसी छोटी- छोटी शिकायत कोर्ट में दर्ज कराई जाने लगी तो आने वाले समय में न्यायपालिका में लोगों की समस्याओं का अंबार लग जाएगा. डाक विभाग को जिम्मेदार ठहराने का इस विधेयक में कोई भी प्रावधान नहीं किया गया है.

इस कानून से प्राइवेट कुरियर सेवा पर लोगों का विश्वास बढ़ेगा

थरूर इसी चर्चा के दौरान कहते हैं कि कस्टमर के पास शिकायत करने का कोई जरिया न होना संविधान की धारा 14 का उल्लंघन है और अगर ऐसा होता है तो लोगों का विश्वास भारतीय डाक विभाग की तुलना में निजी कोरियर सेवाएं पर ज्यादा बढ़ेगा जो कि सही नहीं है. उनका कहना था कि 1898 के विधेयक की तुलना में 2023 का डाक विधेयक जनता के हितों पर ज्यादा खतरा पैदा करता है.

समर्थन में बीजेपी नेता का बयान

वहीं विधेयक के समर्थन में बीजेपी के तापिर गाव कहते हैं कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से खत्म हो रहे डाक सेवा को एक बार प्रभावी बनाया गया है. पहले जहां देश में सभी पोस्ट ऑफिस एक- एक कर बंद हो रहे थे, वही पोस्ट ऑफिस साल 2014 के बाद एक फिर से खुलने शुरु हो गये और अब तक देश में 6000 से ज्यादा पोस्ट ऑफिस की शाखाएं खुल चुकी हैं. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार जन सेवा के लिए 125 साल पुराने डाकघर कानून में बदलाव कर रही है.

अब देश के डाकघरों की हालत भी जान लीजिए

केंद्र सरकार लंबे समय से प्रासंगिकता खो रहे डाकघरों को पुनर्जिवित करने में जुटी हुई है. वह डाकघर को सेवा प्रदान करने वाला संस्थान बनाना चाहती है. केंद्र सरकार इन्हें बैंकों में बदलने के लिए पिछले नौ सालों से प्रयास कर रही है.

भारत में डाकघरों के विस्तार पर नजर डालें तो साल 2004 से लेकर साल 2014 के बीच अलग- अलग राज्यों में 660 डाकघर बंद किए जा चुके थे. लेकिन मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद साल 2014 से 2023 के बीच यानी 9 सालों के अंदर 5,000 नए डाकघर खोले गए और लगभग 5746 डाकघर खुलने की प्रक्रिया में हैं.

इन 9 सालों में डाकघरों में तीन करोड़ से ज्यादा सुकन्या समृद्धि खाते खोले गए हैं. इन खातों में 1 लाख 41 हजार करोड़ रुपये भी जमा किए जा चुके हैं.

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्‍णव के अनुसार, डाकघर सेवा एक ऐसी सुविधा है जिसमें भारत के दूरदराज इलाकों में रहने वाला कोई भी व्यक्ति अपने समान का निर्यात दुनिया में कहीं भी कर सकता है. वर्तमान में 867 डाक निर्यात केंद्र खोले गए हैं. इन केंद्रों से लगभग 60 करोड़ रुपये से ज्‍यादा का निर्यात भी किया जा चुका है. इस विधेयक को लाने का मुख्य उद्देश्य डाकघरों को चिट्ठी सेवा से सेवा प्रदाता बनाने और डाकखानों को बैंकों में तब्दील करने का है.

 

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