नए टेलीकॉम बिल के पास होने से सरकार के पास आ जाएगा ये पावर, कैबिनेट ने अगस्त में ही दे दी थी मंजूरी

केंद्र सरकार ने एक सदी पुराने टेलीग्राफ एक्ट की जगह टेलीकॉम बिल 2023 लागू करने का प्रस्ताव रखा है. सरकार ने यह नया बिल कल सोमवार (18 दिसंबर) को लोकसभा में पेश किया. एक्सपर्ट के मुताबिक, इस विधेयक में ऐसे कानूनों का प्रस्ताव है जो आने वाले समय को आईना दिखा सकता है.. ऐसा कहा जाता है कि इंटरनेट देश में क्रांति लाएगा, सरकार को अधिक शक्ति देगा और टेलीकॉम नीतियों में सुधार करने में मदद करेगा. कैबिनेट ने अगस्त में इस बिल को मंजूरी दे दी थी. अब इसे लोकसभा में भी मंजूरी मिलने की उम्मीद है. राज्यसभा में मंजूरी के बाद यह कानून के रूप में लागू हो जाएगा.

सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन में होगा बदलाव

टेलीकॉम बिल में एक महत्वपूर्ण बिंदु सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन का मुद्दा है. 2जी, 3जी, 4जी, 5जी आदि स्पेक्ट्रम का आवंटन नीलामी के जरिए किया जाता है. हालांकि, सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन में प्रशासनिक आवंटन पद्धति का पालन करने का निर्णय लिया गया है. यानी सरकार ही इस स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल के लिए शुल्क तय करती है.

भारती एयरटेल और एलन मस्क की स्टारलिंक की भी राय है कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का आवंटन प्रशासनिक तौर पर किया जाना चाहिए. इससे एयरटेल की वनवेब, स्टारलिंक, अमेजन की क्यूपर, रिलायंस की जियो सैटेलाइट कम्युनिकेशंस जैसी कंपनियों को मदद मिलेगी. साथ ही हाई स्पीड इंटरनेट कनेक्शन सेवा की लागत भी कम हो जाएगी और बहुत जल्द ये सेवा भारत के हर कोने तक पहुंच सकेगी. यदि नीलामी प्रक्रिया का पालन किया गया तो सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाओं की लागत बढ़ जाएगी.

क्या है नए बिल में?

टेलीकॉम बिल 2023 भारत सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा पर किसी भी खतरे की स्थिति में टेलीकॉम कंपनियों के लाइंसेंस को रद्द करने का अधिकार देता है. इंटरनेट आधारित कॉलिंग और मैसेजिंग ऐप जैसे व्हाट्सएप आदि को यूजर्स के हित में टेलीकॉम की परिभाषा के तहत लाया गया है.सरकार के पास किसी कंपनी के लाइसेंस शुल्क, जुर्माना आदि माफ करने का भी अधिकार होगा. विधेयक में किसी कंपनी द्वारा अपना लाइसेंस सरेंडर करने पर लाइसेंस शुल्क की वापसी आदि के नियमों को आसान बनाने का भी प्रस्ताव है.

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