दलित-आदिवासी वोट बैंक के लिए कांग्रेस का नया एक्शन प्लान, गांव-गांव में शुरू होगी मुहिम

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों में पिछले चुनाव के मुकाबले अधिक सीटें मिलने से उत्साहित कांग्रेस ने दलित-आदिवासी वोट बैंक का आधार बढ़ाने की नई रणनीति बनाई है. पार्टी को ऐसा लगता है इस आम चुनाव में संविधान बचाओ और आरक्षण की रक्षा जैसे नारों से कांग्रेस को काफी फायदा मिला है. लिहाजा पार्टी आलाकमान ने इस मुहिम को और मजबूती से और आगे बढ़ाने का फैसला किया है. ताकि इन समुदायों में पार्टी का खोया जनाधार वापस मिल सके. जानकारी के मुताबिक नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से चर्चा करने के बाद पार्टी के अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष ने एक एक्शन प्लान तैयार किया है.
कांग्रेस की नई रणनीति के तहत देश के दूर दराज के गांवों तक इस मुहिम को पहुंचाने की कोशिश की जाएगी. जानकारी के मुताबिक इस अभियान के तहत अभी तक गांवों में करीब 4 लाख संविधान रक्षक नियुक्त किए गए हैं. जिसमें हर गांव में एक महिला और एक पुरुष को जिम्मेदारी दी गई है. कांग्रेस जल्द ही हर गांव में संविधान रक्षक ग्राम समिति का गठन करेगी. साथ ही इसी तर्ज पर शहरी इलाकों में भी संविधान रक्षक और फिर संविधान रक्षक वार्ड समिति का गठन किया जाएगा.
भाजपा-आरएसएस के खिलाफ अभियान
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अभियान का प्लान यहीं तक सीमित नहीं है. दलितों, आदिवासियों के बीच पैठ बढ़ाने के साथ-साथ कांग्रेस की इस रणनीति में एक थीम बीजेपी-आरएसएस के खिलाफ भी है. इस थीम के तहत कांग्रेस बीजेपी-आरएसएस की नीतियों का विरोध करने के लिए अभियान चलाएगी. कांग्रेस पार्टी के नेता और कार्यकर्ता समितियां इस थीम पर चर्चाओं और कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे.
क्या है कांग्रेस की रणनीति और थीम
कांग्रेस पार्टी ने जो अभियान तैयार किया है, उसके तहत थीम है- कांग्रेस का हाथ, आपके सम्मान और रक्षा के साथ. यानी संविधान बचाने और आरक्षण की रक्षा के लिए कांग्रेस और उसके साथी खड़े हैं. इस रणनीति में दलित-आदिवासियों के घरों में जाकर भोजन करना, उनके कार्यक्रमों में हिस्सा लेना, उनका मान-सम्मान बढ़ाना शामिल है. कांग्रेस इस अभियान के जरिए ये भी समझाने की कोशिश करेगी कि मायावती बीजेपी के दबाव में हैं और वो बीजेपी से लड़ने के बजाय परोक्ष रूप से उनकी मददगार बन गई हैं.

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