सोनिया गांधी बनीं संसदीय दल की चेयरपर्सन, कांग्रेस की बैठक में हुआ फैसला

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा की सांसद सोनिया गांधी को शनिवार को कांग्रेस संसदीय दल का चेयरपर्सन चुन लिया गया. शनिवार को संसद के सेंट्रल हॉल में कांग्रेस संसदीय दल की बैठक हुई और सर्वसम्मति से सोनिया गांधी को फिर से चेयरपर्सन चुन लिया गया. उनके नाम का प्रस्ताव कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने किया, जबकि गौरव गोगोई, तारिक अनवर और के सुधाकरन ने प्रस्ताव का समर्थन किया.
77 वर्षीय सोनिया गांधी फरवरी में राज्यसभा के लिए चुनी गईं थीं. इससे पहले, कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) ने सर्वसम्मति से राहुल गांधी से लोकसभा में विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी संभालने का आग्रह किया और उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेताओं से कहा कि वह इस पर “बहुत जल्द” निर्णय लेंगे.
कई लोगों ने हमारे लिए शोक संदेश लिख डाले थे: सोनिया

संसदीय दल की नेता चुने जाने के बाद अपने संबोधन में सोनिया गांधी ने कहा कि कई लोगों ने हमारे लिए शोक संदेश लिख डाले थे, लेकिन मल्लिकार्जुन खरगे के दृढ़ नेतृत्व में हम डटे रहे. भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा वास्तव में ऐतिहासिक आंदोलन थे, जिन्होंने सभी स्तरों पर हमारी पार्टी को पुनर्जीवित किया. राहुल गांधी अभूतपूर्व व्यक्तिगत, राजनीतिक हमलों से लड़ने के लिए अपनी दृढ़ता और दृढ़ संकल्प के लिए विशेष धन्यवाद के पात्र हैं.
सोनिया गांधी ने कहा कि संसद में कांग्रेस की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इंडिया गठबंधन के साझेदारों की ताकत से भी हमें बल मिला है. कुछ की बहुत प्रभावी ढ़ंग से वापसी हुई है.
मोदी की हुई है नैतिक हार: सोनिया
सोनिया गांधी ने कहा कि हमें इस बात पर भी विचार करना चाहिए कि हम उन राज्यों में अपनी स्थिति कैसे सुधारें जहां हमारा प्रदर्शन हमारी अपेक्षाओं से बहुत कम रहा है. उन्होंने कहा कि केवल अपने नाम पर जनादेश मांगने वाले प्रधानमंत्री मोदी को राजनीतिक और नैतिक हार का सामना करना पड़ा है.
सोनिया गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने वह जनादेश खो दिया है जिसकी उन्हें तलाश थी और इस तरह उन्होंने नेतृत्व का अधिकार भी खो दिया है. असफलता की जिम्मेदारी लेने के बजाय, वह कल फिर से शपथ लेने रहे हैं. हम ऐसा नहीं करते हैं कि सरकार चलाने का उनका तरीका बदल जाएगा. ऐसे में कांग्रेस संसदीय पार्टी की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है और वह सजग रहे. इसके साथ ही हमारे लिए अपने देश में संसदीय लोकतंत्र स्थापित करने और संसदीय राजनीति को पटरी पर लाने का नया अवसर है.

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