विदेश में राहुल गांधी के बयान क्यों बन जाते हैं कांग्रेस के लिए ‘पनौती’?

हरियाणा में चुनावी चकल्लस के बीच अमेरिका में सिख और आरक्षण पर विवादित बयान देकर राहुल गांधी ने कांग्रेस की टेंशन बढ़ा दी है. राहुल के आरक्षण वाले बयान पर जहां सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी हमलावर है, वहीं सिख वाले बयान को लेकर समुदाय से जुड़े संगठन विरोध कर रहे हैं. हरियाणा में 20 प्रतिशत दलित और 5 प्रतिशत सिख समुदाय की आबादी है.
कहा जा रहा है कि अमेरिका में दिया गया राहुल का बयान अगर भारत में तूल पकड़ता है तो हरियाणा के दंगल में कांग्रेस के साथ खेल भी हो सकता है. हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब विदेश में दिए गए अपने बयानों की वजह से राहुल गांधी कांग्रेस के चुनावी परफॉर्मेंस के लिए पनौती साबित हुए हैं.
पहले भी 3 ऐसे मौके आए हैं, जब राहुल के बयान ने चुनाव में कांग्रेस को बैकफुट पर धकेला है.
अमेरिका में बयान, गुजरात-हिमाचल में हार
राहुल गांधी सितंबर 2017 में अमेरिकी दौरे पर गए थे. वहां पर उन्होंने कहा कि भारत में मौजूद कुछ लोग देश को बांटने में लगे हैं. हम विविधताएं और भाईचारे के लिए जाने जाते थे, लेकिन अब यह खत्म किया जा रहा है. राहुल ने पत्रकार गौरी लंकेश का मुद्दा उठाया.
इस दौरान राहुल ने राजनीतिक में वंशवाद का भी बचाव किया. बीजेपी ने राहुल के बयान को मुद्दा बनाया और कहा कि विदेश जाकर कांग्रेस नेता अपने ही देश को बदनाम कर रहे हैं.
तत्कालीन सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने उस वक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राहुल को असफल वंशवादी नेता बताया था. इस बयान के बाद गुजरात और हिमाचल में हुए चुनाव में कांग्रेस की बुरी हार हुई, लेकिन व्यक्तिगत रूप से राहुल को फायदा मिल गया. गुजरात चुनाव के बीच ही राहुल ने कांग्रेस अध्यक्ष की कमान संभाल ली.
सिंगापुर-बहरीन में बीफ पर बोले, कर्नाटक में हारे
राहुल गांधी 2018 के शुरुआत में सिंगापुर और बहरीन के दौरे पर गए थे. यहां पर उन्होंने खान-पान को लेकर खुलकर बयान दिया. उन्होंने कहा कि भारत में कौन क्या खाएगा और क्या नहीं, इसे कोई तय नहीं कर सकता है. देश में उस वक्त बीफ पर खूब बवाल मचा हुआ था.
राहुल का यह बयान काफी तूल पकड़ा और कांग्रेस बैकफुट पर आ गई. राहुल इसी बीच एक और विवादित बयान दे दिए. उन्होंने यह कह दिया कि भारत में बोलने की आजादी छिन गई है.
राहुल के दोनों ही बयान को बीजेपी ने कर्नाटक के चुनाव में मुद्दा बनाया. 2018 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी कर्नाटक हार गई. हालांकि, रिजल्ट आने के बाद कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन दे दिया.
संघ की तुलना ब्रदरहुड से की, 3 राज्यों में हारी कांग्रेस
मार्च 2023 में ब्रिटेन दौरे पर राहुल गांधी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से कर दी. राहुल का यह बयान भारत में सियासी बम फोड़ दिया. बीजेपी के साथ-साथ संघ ने भी नाराजगी जताई. बिहार समेत कई राज्यों में उनके खिलाफ मुकदमा भी दाखिल हुआ.
यह मुद्दा कांग्रेस के लिए मध्य प्रदेश, छत्तीसढ़ और राजस्थान में बैकफायर कर गया. 2023 के आखिर में इन राज्यों में हुए चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह हारी, जबकि इन राज्यों में कांग्रेस के पास बढ़त थी. कहा गया कि इन तीनों ही राज्यों में इतनी बड़ी जीत के पीछे संघ का काम था.
मुस्लिम ब्रदरहुड मिस्त्र की एक संस्था है, जिस पर कट्टरपंथ फैलाने का आरोप लगता रहता है. 1928 में इस संगठन की स्थापना हुई थी.
लोकतंत्र पर बोले तो संसद में बवाल मचा, सफाई देनी पड़ी
2023 में अपने लंदन दौरे के दौरान राहुल गांधी ने भारत के लोकतंत्र को लेकर बयान दिया. राहुल ने कहा- भारत में लोकतंत्र खतरे में है और नेताओं के खिलाफ केस किए जा रहे हैं. संसद में विपक्षी नेताओं का माइक ऑफ कर दिया जाता है. उन्होने केंद्र की सरकार पर जासूसी के भी आरोप लगाए.
राहुल के इस बयान पर उस वक्त संसद में खूब बवाल मचा. उद्योगपति गौतम अडानी के मुद्दे पर जेपीसी की मांग कर रही कांग्रेस बैकफुट पर आ गई. विदेश से लौटने के बाद राहुल को विदेश मंत्रालय से जुड़ी एक बैठक में इस पर सफाई भी देनी पड़ गई.
विदेश के टूर मैनेजर भी बढ़ा चुके हैं परेशान
राहुल गांधी के विदेशी टूर को मैनेज करने वाले कांग्रेस ओवरसीज के अध्यक्ष सैम पित्रोदा भी कई मौकों पर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा चुके हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान पित्रोदा के संपत्ति बंटवारे वाले बयान को बीजेपी ने बड़ा मुद्दा बनाया था. विवाद बढ़ता देख कांग्रेस पार्टी ने पित्रोदा से इस्तीफा ले लिया था.
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पित्रोदा ने सिख दंगे पर विवादित टिप्पणी की थी. पित्रोदा ने उस वक्त कहा था कि सिख दंगा हुआ तो हुआ. उनके इस बयान पर कांग्रेस को सफाई देनी पड़ गई थी.

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