‘जाटों के चक्कर में…’, हरियाणा की हार पर मुस्लिम संगठन जमात-ए इस्लामी ने कांग्रेस को दिखाया आईना
जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा के नतीजों के बाद से कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. हरियाणा में मिली हार के बाद पार्टी के अंदर असंतोष दिखाई दे रहा है, तो वहीं सहयोगी भी नाराज बताए जा रहे हैं. दिल्ली में आम आदमी पार्टी चुनाव में हार के बाद से ही कांग्रेस पर हमलावर है और यहां तक कह दिया है कि दिल्ली विधानसभा के चुनाव में कोई गठबंधन नहीं होगा.
अब प्रमुख मुस्लिम संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद ने हरियाणा चुनाव में हार पर कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी वंचित वर्गों के साथ जुड़ने में विफल रही, यही उसकी हार का मुख्य कारण है. संगठन ने कहा कि चुनाव में कांग्रेस ने पूरा ध्यान जाट वोटों पर लगाया, जिसके कारण वंचित वर्ग उससे दूर हो गए
कांग्रेस पर चुनाव में गलत रणनीति का आरोप लगाते हुए कहा गया कि चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी को आम लोगों से राय लेनी चाहिए थी, जिससे उसे जमीनी हालात का पता चल पाता लेकिन पार्टी ने ऐसा नहीं किया
जाट बनाम नॉन-जाट
संगठन ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस ने सिर्फ जाट समुदाय पर अपना फोकस रखा जिसके कारण अन्य वर्ग बीजेपी के पक्ष में लामबंद हो गए और पूरा चुनाव जाट बनाम नॉन-जाट बन गया, जिसका फायदा बीजेपी को मिला.
कांग्रेस पर अपने पारंपरिक वोट बैंक की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए संगठन ने कहा कि अगर पार्टी ने वंचित और समाज के हाशिए पर पड़े लोगों के बीच अपने चुनाव प्रचार को केंद्रित रखा होता, तो फायदा होता और चुनाव में जीत की संभावना बढ़ जाती.
पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल हो
जमात-ए-इस्लामी हिंद ने भी जम्मू-कश्मीर चुनाव में चुनाव प्रक्रिया के शांतिपूर्ण संपन्न होने पर संतोष व्यक्त किया. संगठन ने कहा कि चुनाव में लोगों की भागीदारी उत्साहजनक थी. अब हम उम्मीद करते हैं कि नई सरकार सबके लिए काम करेगी और केंद्र सरकार के सहयोग से आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करेग.
प्रदेश में चुनावी प्रक्रिया के शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न होने पर कहा कि यह दिखाता है कि राज्य में अब हालात सामान्य हो गए हैं. इसलिए जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा तुरंत बहाल किया जाना चाहिए, जैसा कि वहां के लोगों से केंद्र सरकार ने वादा किया था.
राज्य के चुनाव नतीजे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राज्य के लोगों ने विभाजनकारी राजनीति को खारिज कर दिया है और धर्मनिरपेक्ष ताकतों का समर्थन किया है. राज्य के दोनों संभाग के नतीजों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह जम्मू और कश्मीर क्षेत्रों के बीच राजनीतिक प्राथमिकताओं में अंतर को दिखाता है.
संगठन ने कहा कि कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस को समर्थन मिला है, जबकि जम्मू में बीजेपी को, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार क्षेत्र के हिसाब से भेदभाव करे. नई सरकार को दोनों क्षेत्रों में समान ध्यान देना चाहिए.