मालदीव से कम खूबसूरत नहीं ये अफ्रीकी देश, चलता है हिंदुओं का सिक्का
मालदीव की तरह ही ईस्ट अफ्रीकन देश मॉरिशस भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. इस देश में हिंदुओं की आबादी करीब 49 फीसदी है. यहां भारतीय टूरिस्ट सबसे ज्यादा हनीमून एन्जॉय करने जाते हैं. मॉरिशस को इसके स्वादिष्ट खाने से भी जाना जाता है.
मालदीव ज्यादा सुंदर है या लक्षद्वीप? जब से भारत और मालदीव के बीच विवाद के बाद से इस सवाल पर बहस तेज है. लेकिन इस बहस से दूर आज हम आपको एक ऐसे देश के बारे में बताएंगे, जो बेहद सुंदर है. बड़ी बात यह है कि इस देश में हिंदुओं का सिक्का चलता है. हम बात कर रहे हैं ईस्ट अफ्रीकी देश मॉरिशस की. मॉरीशस में हिंदुओं की आबादी पहले नंबर पर है.
मॉरिशस में साल 2011 में की गई जनगणना के मुताबिक, यहां हिंदुओं की संख्या करीब 48.5 फीसदी है. दूसरे नंबर पर यहां ईसाई आबादी है, जो 32.7 फीसदी है. वहीं, तीसरे नंबर पर मुसलमानों की आबादी है, जो 17.2 फीसदी है. मॉरीशस को आमतौर पर मौरिस केनाम से भी जाना जाता है.
किस लिए मशहूर है मॉरिशस?
मालदीव की तरह ही मॉरिशस भी टूरिस्ट स्पॉट है. यह देश भारतीयों के बीच काफी आकर्षक है. झील, झरने, हरे भरे जंगल और प्राकृतिक सुंदरता, मॉरिशस में आपको वह सब मिलता है, जो आप चाहते हैं. यहां भारतीय टूरिस्ट सबसे ज्यादा हनीमून एन्जॉय करने जाते हैं. मॉरिशस को इसके स्वादिष्ट खाने से भी जाना जाता है.
मानवाधिकारों के मामले में देश की बनी अच्छी छवि
मॉरिशस एक लोकतांत्रिक देश है. यहां नियमित रूप से चुनाव होते हैं. गौर करने वाली बात यह है कि मानवाधिकारों के मामले में भी देश की दुनिया में अच्छी छवि है. इसी वजह से यहां काफी पर्यटक आते हैं. जिससे विदेशी निवेश में काफी इजाफा हुआ है.यह देश अफ्रीका में सबसे ज्यादा प्रति व्यक्ति आय वाले देशों में से एक है. मॉरिशस की अनुमानित जनसंख्या सिर्फ 12 लाख 65 हजार 985 है. मॉरीशस की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है, इसलिए सरकार का सारा प्रशासनिक कामकाज अंग्रेजी में होता है.
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर मॉरिशस ने किया बड़ा ऐलान
बता दें कि मॉरिशस सरकार ने 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के मौके परस्थानीय कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए हिंदू धर्म के सार्वजनिक अधिकारियों को दो घंटे की विशेष छुट्टी देने का ऐलान किया है. मॉरीशस सरकार ने एक बयान में कहा, ”भारत में राम मंदिर एक ऐतिहासिक घटना है, क्योंकि यह अयोध्या में भगवान राम की वापसी का प्रतीक है.