जंगल की आग से मरे 100 से ज़्यादा लोग, हज़ारों घर तबाह, सैकड़ों लापता
दक्षिण अमेरिका (Latin America) के पश्चिमी किनारे पर प्रशांत महासागर से लगा हुआ एक देश है, चिली (Chile Forest Fire). जंगल में आग लगने की वजह से वहां 100 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं.
सैकड़ों लापता हैं और हज़ारों घर तबाह हो गए हैं. राष्ट्रपति गेब्रियल बोरिक ने आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी है और चेतावनी दी है कि ये संख्या ‘काफ़ी’ ज़्यादा हो सकती है.
जंगल में कैसे लगी आग?
न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स ने जानकारी दी है कि जंगल की आग कई दिन पहले शुरू हुई थी. दरअसल, मौसम पैटर्न एल नीन्यो (El Nino effect) के चलते दक्षिण अमेरिका में कई हिस्सों में सूखा और उच्च तापमान देखे गए. इससे जंगल की आग का ख़तरा बढ़ जाता है. फरवरी की शुरूआत से ही चिली में तापमान बहुत बढ़ गया और हवा में रूखापन था. इस वजह से जंगल में आग लग गई.
विना डेल मार (vina del mar) और वालपराइसो शहर (Valparaíso City) आग की लपटों में सबसे बुरे फंसे हुए हैं. दोनों तटीय शहर लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण हैं और वहां दस लाख से ज़्यादा लोग रहते हैं. रॉयटर्स के ड्रोन फ़ुटेज में पूरा शहर झुलसा हुआ दिखाई दे रहा है. रहने वाले जले हुए घरों की भूसी तलाश रहे हैं, घर के घर तबाह हो गए हैं, गाड़ियां सड़कों पर जली पड़ी हैं.
63 साल की रोसाना एवेंडानो ने न्यूज़ एजेंसी AFP को बताया,
“ये भयानक है. मैं अपने घर तक नहीं पहुंच सकी कि यहां आग लग गई… और हमने सब कुछ खो दिया.”
महिला ने बताया कि वो ये तक नहीं जानती थीं कि क्या उनके पति बाहर आ पाए हैं. हालांकि, बाद में वो मिल गए.
-जंगलों में आग की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए इंसानों का सुधरना क्यों जरूरी है?
प्रशासन ने बताया कि उन्होंने 4 फरवरी की दोपहर तक 99 शव बरामद किए हैं, जिनमें 32 की पहचान हो चुकी है. देश की राष्ट्रीय आपदा सेवा के मुताबिक़, 4 फरवरी की दोपहर तक मध्य और दक्षिणी क्षेत्रों में लगभग 64,000 एकड़ ज़मीन जल चुकी है.
चिली के अधिकारियों ने प्रभावित क्षेत्रों में कर्फ़्यू लगा दिया है और आग को फैलने से रोकने के लिए फायर फाइटर्स की मदद के लिए सेना को भेजा गया है. 31 अग्निशमन हेलीकॉप्टर्स आग की लपटों को बुझाने के लिए पानी गिरा रहे हैं. लगातार लगभग 1,400 अग्निशामक, 1,300 सैन्यकर्मी और स्वयंसेवक आग बुझाने में जुटे हुए हैं.
वैसे तो दक्षिणी गोलार्ध की गर्मियों के दौरान जंगल की आग कोई असामान्य बात नहीं है. लेकिन इस आग को 2010 के भूकंप के बाद से देश के लिए सबसे ख़राब आपदा बताया जा रहा है. उस भूकंप में लगभग 500 लोग मारे गए थे.