कभी खुद के पास नहीं था प्राइवेट टॉयलेट, आज बेच चुके हैं 15,000 फ्लैट, कहानी रिजवान साजन की
रिजवान साजन की कहानी किसी परीकथा सरीखी लगती है। उन्होंने मुंबई की झुग्गियों से निकलकर दुबई में बड़ा मुकाम हासिल किया और आज एक सफल कारोबारी हैं। उनका डेन्यूब ग्रुप दुबई में कंस्ट्रक्शन मटीरियल, होम डेकोर और रियल एस्टेट डेवलपमेंट से जुड़ा कारोबारी समूह है। इसकी स्थापना रिजवान साजन ने 1993 में की थी। साल 2022 में इस ग्रुप का टर्नओवर दो अरब डॉलर रहा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साजन की नेटवर्थ करीब 18,000 करोड़ रुपये है और वह भारतीय मूल के टॉप 100 कारोबारियों में शामिल हैं। रिजवान जब महज 16 साल के थे तो उनके पिता का निधन हो गया। तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े रिजवान के कंधों पर छोटी उम्र में ही परिवार का बोझ पड़ गया था। परिवार का पेट पालने के लिए उन्होंने एक स्ट्रीट वेंडर के रूप में किताबें बेची और दूध बांटने का भी काम किया। आज उन्हें दुबई का वन परसेंट मैन कहा जाता है। एक नजर साजन के फर्श से अर्श तक के सफर पर…
रिजवान साजन का जन्म मुंबई की एक मिडिल क्लास फैमिली में हुआ था। उनका परिवार चॉल में रहा करता था। हालत यह थी कि उनके पास प्राइवेट टॉयलेट भी नहीं था। एक दिन उनके पिता को सब्सिडी पर सस्ता घर खरीदने का मौका मिला। रिजवान कहते हैं कि उस दिन उन्हें पता चला कि घर क्या होता है। रिजवान ने गल्फ न्यूज के दिए एक इंटरव्यू में कहा कि वे मुश्किल दिन थे। उनके पिता एक स्टील फैक्ट्री में सुपरवाइजर थे और उन्हें हर महीने सात हजार रुपये पगार मिलती थी। घर का खर्च चलाना और स्कूल की फीस देना मुश्किल होता था। लेकिन जब वह 16 साल के थे तो उनके पिता का निधन हो गया। परिवार की जिम्मेदारी उनके नाजुक कंधों पर आ गई। जिंदगी के शुरुआती दिनों में परिवार का पेट पालने के लिए उन्होंने एक स्ट्रीट वेंडर के रूप में किताबें और पटाखे बेचे।
वन परसेंट प्लान ने किया कमाल
इतना ही नहीं इनकम बढ़ाने के लिए वह दूध बांटने का भी काम करने लगे। साल 1981 में वह कुवैत अपने चाचा की कंस्ट्रक्शन मटीरियल की दुकान पर काम करने चले गए। वहां उन्होंने एक ट्रेनी सेल्समैन के रूप में काम किया। तब उन्हें करीब 18,000 रुपये मिलते थे। उन्होंने आठ साल तक कुवैत में काम किया और सेल्स मैनेजर बन गए। धीरे-धीरे साजन का काम बढ़ने लगा लेकिन 1991 में खाड़ी युद्ध ने सब खत्म कर दिया। उन्हें मुंबई लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा। मुंबई लौटकर उन्होंने फिर से नौकरी खोजनी शुरू की। आखिर उन्हें दुबई में बिल्डिंग मटीरियल बिजनस में ब्रोकरेज का काम मिला। फिर एक दिन उन्होंने नौकरी छोड़कर अपना बिजनस करना शुरू किया। इस तरह साल 1993 में डेन्यूब ग्रुप का जन्म हुआ। यह वह समय था जब दुबई में कंस्ट्रक्शन का काम शुरू ही हुआ था।