कश्मीर के हजरतबल दरगाह जा रहे हैं पीएम मोदी, क्या है इसका इतिहास जहां हर धर्म के लोग मांगते हैं मन्नत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस भी धार्मिक जगह जाते हैं, वही लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बन जाती है. आज पीएम नरेंद्र मोदी अपने कश्मीर दौरे के दौरान हजरतबल तीर्थ परियोजना और सोनमर्ग स्की ड्रैग लिफ्ट के एकीकृत विकास का उद्घाटन करने के लिए हजरतबल दरगाह जाएंगे.
ऐसे में आइए कश्मीर में स्थित इस दरगाह की खासियत और इतिहास के बारे में जानते हैं.
हमारे देश में अलग-अलग आस्थाओं को मानने वाले समुदाय हैं. लोग अपनी मान्यताओं को पूरा करने के लिए मंदिर, मस्जिद, चर्च या फिर गुरुद्वारे जाते हैं. हालांकि कुछ लोग दरगाह भी जाते हैं. लोगों का मानना है कि दरगाप पर सच्चे दिल से जो भी दुआ मांगते हैं, वो पूरी हो जाती है. कहने के लिए दरगाह मुस्लिम धर्म के लोगों का तीर्थ स्थल है लेकिन यहां हर धर्म के लोग माथा टेकने के लिए आते हैं.
इस लेख में आपको बताएंगे कश्मीर की हजरतबल दरगाह के बारे में, क्योंकि इसे मुस्लिम समुदाय की सबसे खास दरगाह कहा जाता है. इस दरगाह की खासियत है कि यहां मुस्लिम समुदाय के अलावा हर धर्म के लोग आते हैं. तो आइए जानते हैं कश्मीर की सबसे मशहूर हजरतबल दरगाह के बारे में.
बहुत पुराना है हजरतबल का इतिहास
इस दरगाह के इतिहासिक दरगाह भी कहा जाता है जिसको लेकर कई सारे मिथक भी हैं. इसका इतिहास काफी पुराना बताया जाता है. इस्लामिक मान्यता है कि इस दरगाह में इस्लाम धर्म के आखिरी नबी पैगंबर मोहम्मद साहब का दाढ़ी का बाल सुरक्षित रखा हुआ है. ऐसा कहा जाता है कि मोहम्मद साहब के बाल को सैयद अब्दुल्ला द्वारा कश्मीर लाया गया था, फिर उन्होंने इसी दरगाह पर उनके बाल को दफना दिया था.
हजरतबल दरगाह की क्या है खासियत?
यह दरगाह कश्मीर के डल झील के किनारे स्थित है, इसका दीदार करने दूर-दूर से लोग आते हैं, क्योंकि ये दरगाह हजरत से जुड़ी हुई है. साथ ही, इस दरगाह की खूबसूरती की वजह से है कश्मीर आने वाले लोग यहां में माथा टेके बिना नहीं जाते. यहां सभी धर्मों के लोग अपनी मन्नत मांगने के लिए आते हैं. हजरतबल दरगाह को मदिनात-अस-सनी, असर-ए-शरीफ, और दरगाह शरीफ आदि नामों से जाना जाता है.
मुस्लिमों के लिए क्यों खास है हजरतबल दरगाह?
इस दरगाह में प्रवेश करने से पहले आपको सिर ढकना होता है. साथ ही यहां प्रवेश करने के लिए कोई शुल्क नहीं देना होता है. इस दरगाह में कोई भी महिला नहीं जा सकती है क्योंकि ये दरगाह के साथ-साथ एक मस्जिद भी है. श्रीनगर में हजरतबल तीर्थ एक प्रसिद्ध मस्जिद है जिसकी मुसलमानों के बीच बहुत श्रद्धा का केंद्र है. मान्यताओं के अनुसार, इसमें ‘मोई-ए-मुक्कदस’ यानी पैगंबर मुहम्मद की दाढ़ी का पवित्र बाल मौजूद है. यह मस्जिद पैगंबर के लिए मुस्लिमों के प्यार और भक्ति का प्रतीक मानी जाती है.
कब और किसने किया था हजरतबल दरगाह का निर्माण?
कई जगह यह उल्लेख मिलता है कि इसका इतिहास सत्रहवीं सदी से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि कश्मीर में मुगल बादशाह शाहजहां के सूबेदार सादिक खान ने 1623 ईस्वी में इस जगह पर बगीचे, इमारत और आरामगाह बनवाया था. साल 1634 में शाहजहां ने इस महल को इबादत करने के स्थान में बदलने का आदेश दिया था.
यह भी कहा जाता है कि इस दरगाह का निर्माण 1968 में मुस्लिम औकाफ ट्रस्ट के शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की देखरेख में शुरू हुआ था. इस सफेद संगमरमर की इमारत का निर्माण साल 1979 में पूरा हुआ था.हजरतबल दरगाह को 2010 की बॉलीवुड फिल्म लम्हा में दिखाया गया था, जिसमें संजय दत्त, बिपाशा बसु, कुणाल कपूर और अनुपम खेर अभिनेता की भूमिका निभाई थी.
कहा जाता है सफेद मस्जिद
हजरतबल तीर्थस्थल भारत के सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक है जिसे मुस्लिमों के लिए बहुत पवित्र स्थल माना जाता है. हजरतबल दरगाह हर साल कई तीर्थयात्रियों को आकर्षित करती है और भारत में मुस्लिम संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसके सफेद संगमरमर के बाहरी हिस्से की वजह से हजरतबल को “सफेद मस्जिद” के रूप में जाना जाता है.
भारत और पाकिस्तान के मुस्लिमों के लिए है खास
अपने धार्मिक महत्व के अलावा, हजरतबल तीर्थ अपनी वास्तुकला और सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध है. हजरतबल दरगाह अपने आप में एक भव्य सफेद संगमरमर की इमारत है जो सुंदर डल झील के किनारे है. हजरतबल तीर्थस्थल कश्मीर के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है. यह दरगाह भारतीय और पाकिस्तानी दोनों मुसलमानों के लिए एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है.