सुप्रीम कोर्ट में इंसाफ के साथ अब इलाज भी! न्यायाधीशों से लेकर मुंशी-वकील…
सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया में अब सिर्फ इंसाफ ही नहीं बल्कि आयुर्वेदिक इलाज भी मिलेगा. न्यायालय के न्यायाधीशों से लेकर वकील, मुंशी और सुप्रीम कोर्ट का कोई भी स्टाफ सिर्फ 10 रुपये की फीस में आयुर्वेद की पंचकर्म चिकित्सा से लेकर आयुर्वेदिक थेरेपी, मसाज आदि करा सकेंगे.
दरअसल दिल्ली के आयुर्वेदिक अस्पताल ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद ने उच्चतम न्यायालय में पहला आयुष समग्र कल्याण केंद्र खोला है. इसमें सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस, एडवोकेट सहित कोर्ट में काम करने वाला कोई भी व्यक्ति 10 रुपये की रजिस्ट्रेशन फीस देकर आयुर्वेदिक इलाज करा सकता है. यहां पर आयुर्वेदिक थेरेपीज के अलावा औषधियां भी मुफ्त मिलेंगी.
एआईआईए की निदेशक वैद्य तनुजा नेसरी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में आयुष मिनिस्ट्री के अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया और ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद के संयुक्त प्रयास से आयुष होलिस्टिक वेलनेस सेंटर खोला गया है. जो यहां आने वाले सभी माननीय जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट कर्मचारियों को फिजिकल, मेंटल और इमोशनल स्वास्थ्य के क्षेत्र में होलिस्टिक केयर प्रदान करेगा. एआईआईए इसी तरह के इंटीग्रेटेड सेंटर इससे पहले सफदरजंग अस्पताल दिल्ली, आईआईटी दिल्ली और गोवा में खोल चुका है.
22 फरवरी को आज इस सेंटर का उद्धाटन आज भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चंद्रचूड़ और आयुष मंत्रालय के मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने किया. इस दौरान महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई कालूभाई भी मौजूद रहे.
सेंटर का उद्धाटन करते हुए CJI चंद्रचूड़ ने बताया, कोविड के दौरान PM मोदी ने मुझे फोन किया था और कहा, ‘आप कोविड से पीड़ित हैं और मुझे उम्मीद है कि सब कुछ ठीक हो जाएगा.’उन्होंने आगे कहा ‘मुझे एहसास है कि आप अच्छी स्थिति में नहीं हैं, लेकिन हम सब कुछ करेंगे. एक वैद्य हैं जो आयुष में सचिव भी हैं और मैं उनके साथ एक कॉल की व्यवस्था करूंगा जो आपको दवा और सब कुछ भेज देंगे.’
सीजेवाई ने बताया,”जब मैं कोविड से पीड़ित था तो मैंने आयुष से दवा ली. दूसरी और तीसरी बार जब मुझे कोविड हुआ, तो मैंने बिल्कुल भी एलोपैथिक दवा नहीं ली. सभी जज, उनके परिवार और सुप्रीम कोर्ट के 2000 से ज्यादा स्टाफ सदस्य, मैं उनके लिए बहुत चिंतित हूं क्योंकि उन्हें जजों जैसी सुविधाएं नहीं मिलतीं.’