वायु सेना का एक और कमाल, पुणे से दिल्ली पहुंचाया डोनर लिवर, बचाई पूर्व सैनिक की जान

कहते हैं कि किसी की जान बचाने से बड़ा काम इस दुनिया में और कोई नहीं. जीवन एक ऐसी नेमत है जिसकी कद्र उसके खो जाने के बाद होती है और इसलिए जीवन बेहद कीमती है और इस बात को हर कोई समझता है खासतौर पर हमारे देश की सेना और डॉक्टर जिनका हर दिन मौत से आमना-सामना होता है.

हमारे देश की सेना हर दिन लोगों की जान बचाने के लिए तत्पर रहती है. लेकिन हालही में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने सबको सेना पर गर्व करने का एक और मौका दे दिया. दरअसल, शुक्रवार को वायु सेना के अधिकारियों ने बिना समय गवाए तुरंत आर्मी हॉस्पिटल के डॉक्टरों की एक टीम को पुणे से दिल्ली पहुंचाया, जिससे एक पूर्व सैनिक की जान बचाई जा सकी.

क्या है मामला?

भारतीय वायु सेना ने बताया कि 23 फरवरी की रात को अधिकारियों को शॉर्ट नोटिस मिला की आर्मी हॉस्पिटल के डॉक्टरों की एक टीम को पुणे से दिल्ली लेकर जाना है. उनके पास एक लिवर था, जिसे समय पर पहुंचाया जाना जरूरी था. डोर्नियर विमान ने आदेश मिलते ही तुरंत उड़ान भर दी. इससे लिवर समय पर अस्पताल पहुंच गया और प्रत्यारोपण सर्जरी की गई. इससे एक पूर्व सैनिक के जीवन को बचाया जा सका.

कितने घंटों में बदल सकते हैं लिवर?

बता दें एक लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी में लगभग 4 से 14 घंटे का समय लगता है. लिवर ही हमारे पूरे शरीर में एकमात्र ऐसा अंग है, जो कि इसके एक हिस्से को हटा दिए जाने के बाद भी फिर से अपने आप विकसित हो सकता है. जब हमारे लिवर का एक हिस्सा सर्जरी के द्वारा हटा दिया जाता है और किसी मरीज के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जाता है, तो हमारे लिवर के दोनों हिस्से छह से आठ सप्ताह में फिर से वापस बढ़ जाते हैं. जिन लोगों को क्रॉनिक लिवर यानी की सिरोसिस की बीमारी होती है, उनका लिवर इतना ज्यादा डैमेज हो जाता है कि दोबारा से विकसित करने की क्षमता भी खत्म हो जाती है, इस स्थिति को ही लिवर का फेलियर कहते हैं और इन लोगों को अक्सर लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है. एक डोनर के लिवर को 12 घंटे के अंदर-अंदर रिसीवर के लिवर से बदलना होता है.

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