रुद्राक्ष के शुभ फल प्राप्त करने के लिए इन नियमों का रखें पूरा ध्यान, करें इन मंत्रों का जप

एकमुखी रूद्राक्ष से लेकर कई मुखी रूद्राक्ष देखने को मिलते हैं, किसी भी रूद्राक्ष को शुभ मुहूर्त में मंत्रोच्चारण करने के बाद ही पूर्ण विधि-विधान से धारण करें। अगर आप रूद्राक्ष से लाभ चाहते हैं तो, बिना मंत्रोच्चारण के रूद्राक्ष कभी नहीं धारण करना चाहिए। धर्मशास्त्रों में इस संदर्भ में उल्लिखित है,

रुद्राक्ष धारण करने के मंत्र

रुद्राक्ष के दाने, रुद्राक्ष माला अथवा रत्नादि को अभिमंत्रित करने के लिए सर्वोत्तम तरीका तो यही है कि किसी योग्य कर्मकांडी विद्वान से ही इसे अभिमंत्रित कराया जाए। किंतु यदि किसी कारणवश कर्मकांडी विद्वान न उपलब्ध हो रहें हों, तो ऐसी परिस्थिति में अगर आप स्वयं अभिमंत्रित करना चाहते हैं तो इन मंत्रों से आप रुद्राक्ष को अभिमंत्रित कर सकते हैं।

एक मुखी रूद्राक्ष के देवता भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए ऊँ ह्नी नमः मंत्र से अभिमंत्रित करें।

दो मुखी रूद्राक्ष को अर्द्धनारीश्वर की प्रसन्नता के लिए ऊँ नमः मंत्र से अभिमंत्रित करें।

तीन मुखी रूद्राक्ष को शिव सहित अग्नि की प्रसन्नता के लिए ऊँ क्लीं नमः मंत्र से अभिमंत्रित करें।

चार मुखी रूद्राक्ष को शिव सहित ब्रह्मा की प्रसन्नता के लिए ऊँ ह्नी नमः मंत्र से अभिमंत्रित करें।

पांच मुखी रूद्राक्ष को कालाग्नि रूद्र की प्रसन्नता के लिए ऊँ ह्नी नमः मंत्र से अभिमंत्रित करें।

छः मुखी रूद्राक्ष को भगवान शिव सहित कार्तिकेय की प्रसन्नता के लिए ऊँ हृी हुँ नमः मंत्र द्वारा अभिमंत्रित करना चाहिए।

सातमुखी रूद्राक्ष को शिव के साथ सप्त मातृकाएं, सप्तर्षि की प्रसन्नता के लिए ऊँ हुँ नमः मंत्र से अभिमंत्रित करें।

आठ मुखी रूद्राक्ष को शिव सहित बटुक भैरव की प्रसन्नता के लिए ऊँ हुँ नमः मंत्र से अभिमंत्रित करना चाहिए।

नौ मुखी रूद्राक्ष को शिव सहित दुर्गा मां की प्रसन्नता के लिए ऊँ ह्नी हुँ नमः मंत्र से अभिमंत्रित करना चाहिए।

दस मुखी रूद्राक्ष को शिव सहित विष्णु भगवान की प्रसन्नता के लिए ऊँ ह्नी नमः मंत्र द्वारा अभिमंत्रित करना चाहिए।

ग्यारह मुखी रूद्राक्ष को भगवान शिव सहित रूद्र, इन्द्र की प्रसन्नता के लिए ऊँ ह्नी हुँ नमः से अभिमंत्रित करना चाहिए।

बारह मुखी रूद्राक्ष को शिव सहित बारह आदित्य की प्रसन्नता के लिए ऊँ क्रौं क्षौं रौं नमः मंत्र से अभिमंत्रित करें।

तेरह मुखी रूद्राक्ष को शिव सहित कार्तिकेय, इंद्र की प्रसन्नता के लिए ऊँ ह्नी नमः मंत्र से अभिमंत्रित करें।

चौदह मुखी रूद्राक्ष को शिवजी, हनुमानजी की प्रसन्नता के लिए ऊँ नमः मंत्र से अभिमंत्रित करें। अधिकाधिक लाभ प्राप्त करने के लिए एक बार अभिमंत्रित किए गए रुद्राक्ष को धारण करने के एक वर्ष पश्चात् उसे पुनः अभिमंत्रित कर लेना चाहिए।

शुभ मुहूर्त में अभिमंत्रित रूद्राक्ष धारण करें

मेष या तुला के सूर्य में, कर्क या मकर संक्रांति के दिन, ग्रहण के सिद्धिकाल में, अमावस्या, पूर्णिमा एवं पूर्णा तिथियों को रुद्राक्ष धारण करने से सम्पूर्ण पापों से निवृत्त होकर मनुष्य पुण्य का भागी बनता है।

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