कर्नाटक के मंत्री के बयान पर भड़के अयोध्या के संत, बोले- वो राम के लिए कुछ नहीं कर पाएं

एक तरफ जहां अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा की धूम और रौनक देश विदेश में छाई हुई है, वहीं दूसरी तरफ कुछ नेता लगातार राजनीतिक बयानबाजी भी कर रहे हैं. कर्नाटक के मंत्री डी सुधाकर ने राम मंदिर को पुलवामा हमले से जोड़ दिया है. उन्होंने इसे लोकसभा चुनाव से जोड़ते हुए बीजेपी का स्टंट बता दिया. वहीं इस बयान के बाद अयोध्या के संतों में काफी आक्रोश है. टीवी 9 भारतवर्ष ने बात की ऐसे ही कुछ संतों से बातचीत की, जिन्होंने कहा कांग्रेस खुद कुछ कर नहीं पाई इसीलिए ऐसे बयान दे रहे हैं.

निर्वाणी अखाड़ा के अध्यक्ष महंत धर्मदास ने कहा कि सबके अपने अपने विचार हैं. वो राजनीतिक आदमी है तो वो राजनीति पर ही ला कर किसी बात को गिराएगा. हम चाहते हैं सब भगवान का नाम जपें. अपने-अपने धर्म और पंथ के हिसाब से करें. परमात्मा को सभी मानते हैं. वहीं मूर्ति चयन की बात पर भड़के महंत धर्मदास, कहा मूर्ति का चयन नहीं किया जा सकता, जो रामलला विद्यमान चले आ रहे हैं वही स्थापित होने चाहिये गर्भ गृह में.

‘डुप्लीकेट भगवान को स्थापित करने की कोई प्रथा नहीं’

उन्होंने कहा, डुप्लीकेट भगवान को स्थापित करने की कोई प्रथा नहीं. जो प्रथा बदलेगा वो फल पाएगा. राम नाम सबको कहना चाहिए अपने अपने पंथ के हिसाब से. सबको अपने पंथ और परंपरा हिसाब से अपने ईश्वर का नाम लेना चाहिए. मजार और मस्ज़िद पर बोलने की बात करना राजनीतिक स्टंट है. ऐसे क्यों बोलते हैं. सबको अपने अपने धर्म का देखना चाहिए.

वहीं, जूना अखाड़े के संरक्षक हरि गिरी ने कहा राम को वही जान सकता है जिसको राम चाहेंगे. राजनीति नहीं होती तो ये मंदिर भी नहीं बनता. जिसकी हो खुराक है उसके बिना वो नहीं रह सकता. राजनीति तो पार्टियों का ऑक्सीजन होता है. कभी-कभी दूषित ऑक्सीजन लेने लगते हैं जो हानिकारक होता है. वो लोग ऐसे बयान देते हैं. उन्हें लगता है कि उनका फायदा होगा लेकिन इस दूषित ऑक्सीजन के साथ वो बहुत दिन तक जीवित नहीं रह सकेंगे.

‘कंबोडिया में 90 फीसदी मुसलमान, फिर भी वहां मंदिर है’

उन्होंने आगे कहा, राजनीति इसमें से निकाल देनी चाहिए. आज कंबोडिया में 90 फीसदी मुसलमान हैं फिर भी वहां मंदिर हैं. कई मुसलमान हस्तियां भी स्वीकार करते हैं कि वो राम के वंशज हैं. कोई देश का हो या कोई धर्म का हो वो कहता है कि राम सभी के हैं. हम राम को ब्रह्म मानते हैं और ब्रह्म में पूरा ब्रह्माण्ड आता है. तो फिर राम सबके हुए. सब राम के अंश हैं. राम किस से क्या करवाना चाहते हैं ये उनकी इच्छा है.

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