लोन के लिए अप्लाई करने से पहले इन 4 चीजों पर दें ध्यान, बोझ नहीं बनेगा कर्ज
नई दिल्ली. बच्चों को पढ़ाने पर आजकल बहुत पैसा खर्च होता है. उच्च शिक्षा के लिए पर्याप्त पैसा जोड़ लेना एक आम मध्यवर्गीय परिवार के लिए काफी कठिन काम हो गया है. ऐसे में ज्यादातर अभिभावक एजुकेशन लोन लेते हैं.
एजुकेशन लोन बच्चों की पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए एक बड़ा सहारा तो है, लेकिन कई बार बैंक से लिए पैसे को चुकाने में पसीने छूट जाते हैं. इसलिए एजुकेशन लोन बहुत संभलकर लेना चाहिए. एजुकेशन लोन आपके सिर पर बोझ न बन जाए, इसलिए यह ऋण लेने से पहले कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए.
अगर जल्दबाजी में आपने पूरी जांच-पड़ताल के बिना लोन ले लिया, तो भविष्य में आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. सोच-समझकर और अच्छे से पूछ-परख करके आप लोन लेने का फायदा यह होगा कि आपको ब्याज के रूप में कम पैसे तो चुकाने ही होंगे, लोन चुकता करने में भी कोई परेशानी नहीं आएगी.
लोन राशि का सोच-समझकर निर्धारण
किसी भी कोर्स में दाखिला लेने पर कई तरह का खर्च होता है. इसमें कोर्स की फीस, हॉस्टल या रहने का खर्च, किताबों, लैपटॉप आदि पर खर्च होने वाली राशि. इसलिए लोन लेने से पहले इन सभी जरूरी खर्चों जोड़ लेना चाहिए. बिना खर्च जोड़े कर्ज के लिए आवेदन करना समझदारी नहीं है, क्योंकि इससे आगे पढ़ाई के लिए पैसे कम पड़ सकते हैं.
री-पेमेंट अवधि का सही चुनाव
बैंक कोर्स की अवधि के अलावा एक साल का अतिरिक्त मोरेटोरियम समय भी लोन चुकाने के लिए देते हैं. ईएमआई जब चुकाना शुरू करते हैं तो 15 साल का रीपेमेंट पीरियड मिलता है. जिस दिन लोन मिलता है, उसी दिन से ब्याज शुरू हो जाता है. बैंक मोरेटोरियम पीरियड को दो साल और बढ़ा सकता है. लोन लेते वक्त इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए रीपेमेंट पीरियड चुनना चाहिए.
ब्याज की जानकारी
एजुकेशन लोन ब्याज दर कोर्स, संस्थान, पिछले एकेडमिक परफॉरमेंस, छात्र/को-एप्लीकेंट के क्रेडिट स्कोर और सिक्योरिटी जैसी बातों पर निर्भर करती है. अलग-अलग बैंकों और वित्तीय संस्थानों की ब्याज दरों में भी फर्क होता है. इस लिए लोन लेने से पहले सभी बैंकों की ब्याज दरों की जानकारी अच्छी तरह से ले लेनी चाहिए.
कितनी होगी कमाई?
जिस कोर्स और संस्थान में आप दाखिला ले रहे हैं, उस कोर्स और संस्थान की प्लेसमेंट दर को एजुकेशन लोन लेने से पहले जानना जरूरी है. ऐसा करने से आपको एक मोटा-मोटा अनुमान हो जाएगा की आपको कोर्स के बाद नौकरी मिलेगी या पहले ही मिल जाएगी. इससे वेतन का अंदाजा भी हो जाएगा. प्लेसमेंट और वेतन का आइडिया होने पर मासिक आय और इसके हिसाब से ईएमआई का आंकलन करने में मदद मिलेगी. लोन अवधि चुनने में भी भविष्य की कमाई आंकलन बहुत काम आता है.