धनंजय सिंह अपहरण मामले में दोषी करार, चुनाव लड़ने का सपना मटियामेट हो सकता है

जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उनके सहयोगी संतोष विक्रम को अपहरण और रंगदारी मामले में दोषी पाया गया है (Dhananjay Singh found guilty in kidnapping case). जौनपुर की अपर सत्र कोर्ट 6 मार्च को उनकी सजा का ऐलान करेगी.

अपर सेशन जज शरद त्रिपाठी ने दोनों को दोषी ठहराया है. फैसले के बाद पुलिस ने धनंजय सिंह को जेल भेज दिया है.

लोकसभा चुनाव में उतरने की तैयारी थे

अदालत का ये फैसला चुनाव के लिहाज से भी धनंजय सिंह के लिए बड़ा झटका है. वो जौनपुर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. पहले चर्चा थी कि वो जेडीयू के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर सकते हैं. लेकिन नीतीश कुमार के एनडीए में लौटने से ये संभावना खत्म हो गई. बाद में बीजेपी ने कृपाशंकर को जौनपुर से टिकट दे दिया. हालांकि इसके बाद भी धनंजय ने चुनाव लड़ने का इरादा पक्का किया हुआ था. वो सोशल मीडिया पर काफी उत्साहित भी लग रहे थे.

साथियो, तैयार रहिए. लक्ष्य बस एक लोकसभा 73, जौनपुर.”

उनके समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ने की भी चर्चा चली. लेकिन इसी बीच उन्हें अपहरण मामले में उन्हें दोषी करार दिया गया. उनके खिलाफ जो धाराएं लगी हैं उनमें 10 साल तक की सजा का प्रावधान है. अगर धनंजय को 2 साल की भी सजा हुई तो वो चुनाव लड़ने का उनका सपना, सपना ही बनकर रह जाएगा.

क्या था मामला?

10 मई 2020 को लाइन बाजार थाने में मुजफ्फरनगर निवासी नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने अपहरण, रंगदारी व अन्य धाराओं में केस दर्ज कराया था. IPC की धारा 364, 386, 504 और 120B के तहत केस दर्ज किया गया था. केस धनंजय सिंह और उनके साथी विक्रम के खिलाफ किया गया था. शिकायत में बताया गया कि विक्रम दो साथियों के साथ अभिनव का अपहरण कर पूर्व सांसद के आवास पर ले गए थे. जहां धनंजय सिंह पिस्टल के साथ आए और उन्हें धमकाया कि वो कम गुणवत्ता वाली सामग्री का इस्तेमाल करें.

अभिनव ने इनकार किया तो उन्हें गालियां दी गईं और धमकी देते हुए रंगदारी मांगी गई. शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामले में FIR दर्ज कर पूर्व सांसद को गिरफ्तार कर लिया था. हालांकि, बाद में कोर्ट से धनंजय सिंह को जमानत मिल गई थी.

27 की उम्र में पहली बार विधायक बने थे

धनंजय सिंह 27 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने थे. 2002 में वो रारी विधानसभा से निर्दलीय चुनाव जीते थे. इसके बाद साल 2007 में JDU के टिकट पर विधायक चुने गए थे. बाद में बसपा में शामिल हुए. 2009 में बसपा के टिकट से लोकसभा चुनाव लड़े. जौनपुर सीट से जीते. मायावती ने 2011 में उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगाकर बाहर कर दिया था. साल 2022 में JDU के टिकट से विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं. मल्हनी सीट पर उन्हें सपा के लकी यादव से हार का सामना करना पड़ा था.

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