डिजी यात्रा में लगी ऐसी सेंध, न कैमरे ने देखा चेहरा, न स्‍कैनर ने पढ़ा टिकट, विमान तक पहुंचा युवक, उड़े सबके होश

एविएशन सिक्‍योरिटी के भविष्‍य के रूप में देखे जा रहे डिजी यात्रा के सिक्‍योरिटी सिस्‍टम में सेंध लग गई है. सेंध भी ऐसी कि चेहरा पढ़ने में महारत रखने वाले फेस रिकॉग्निशन कैमरे न ही सेंध लगाने वाले का चेहरा पढ़ पाए और न ही बारकोड पढ़कर सही और गलत की पहचान करने वाले स्‍कैनर कुछ काम आए. वहीं, सेंध लगाने वाला शख्‍स एयरपोर्ट पर मौजूद तमाम सुरक्षा खामियों का फायदा उठाते हुए एयरक्राफ्ट तक पहुंचने में कामयाब हो गया.

दरअसल यह पूरा मामला दिल्‍ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्‍ट्रीय (आईजीआई) एयरपोर्ट का है. फिलहाल आईजीआई एयरपोर्ट पर जो सुरक्षा व्‍यवस्‍था है, उसके तहत टर्मिनल के प्रत्‍येक इंट्री गेट को दो भागों में बांट दिया गया है. पहले भाग में डिजी यात्रा का फेस रिकॉग्निशन कैमरा, बारकोड स्‍कैनर, डिस्‍प्‍ले स्‍क्रीन और एक फ्लैप गेट लगा हुआ है. एयरपोर्ट की नई सुरक्षा व्‍यवस्‍था के तहत, इस हिस्‍से में सीआईएसएफ के किसी भी जवान और अधिकारी की तैनाती नहीं की गई है.

डिजी यात्रा के तहत कैसे होती है सुरक्षा जांचडिजी यात्रा टेक्नोलॉजी की मदद से जांच प्रक्रिया पूरी करने वाले यात्री सबसे अपने एयर टिकट या ई-बोर्डिंग पास पर छपे बार कोड को स्‍कैनर के ऊपर रखते हैं. बार कोड स्‍कैन होते ही यात्री और फ्लाइट से संबंधित सभी जानकारी डिस्‍प्‍ले स्‍क्रीन पर आ जाती है. वहीं, रिकॉग्निशन कैमरा सामने खड़े शख्‍स के चेहरे को पढ़कर अन्‍य जानकारियों से मैच करता है. यदि सबकुछ सही है तो ग्रीन लाइट जलती है और फ्लैप गेट खुल जाता है. यात्री बिना किसी मानवीय हस्‍तक्षेप के टर्मिनल के भीतर चला जाता है.

डिजी यात्रा के सिक्‍योरिटी सिस्‍टम सॉफ्टवेयर में यह भी व्‍यवस्‍था की गई है कि एक बोर्डिंग कार्ड या ई-टिकट दो बार स्‍कैन न हो पाए. साथ ही, कोई गलत शख्‍स टर्मिनल बिल्डिंग में प्रवेश न कर पाए, इसी के लिए रिकॉग्निशन कैमरा लगाए गए हैं. वहीं, दूसरे भाग में पुरानी व्‍यवस्‍था के तहत सीआईएसएफ के जवान खड़े हैं, जो यात्री का टिकट और आईकार्ड देखकर उसे टर्मिनल के भीतर जाने की इजाजत देते हैं.

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