क्या आप ओशो के बारे में जानते हैं? अगर नहीं जानते तो जानिए, ओशो की कहानी और उसके अनमोल वचन

ओशो के बारे में लोगों ने नाम तो बहुत सुना है, लेकिन इसकी पूरी कहानी और ओशो कौन है, इसके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है। हम बताते हैं कि ओशो का पूरा नाम रजनीश ओशो था। लोग उन्हें भगवान श्री रजनीश जी कहते थे। यह एक तांत्रिक थे और उन्होंने एक अभियान की शुरुआत की थी। उनके द्वारा अपने पूरे जीवन के दौरान लाखों लोगों ने उन्हें अपना गुरु बनाया था। दूसरी तरफ, बहुत से लोगों ने उन्हें आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में मान्यता दी थी।

वैसे कुछ लोगों ने उन्हें एक अय्याश व्यक्ति की पदवी दे डाली। ओशो ने 1960 में भारत का भ्रमण पूरा कर लिया था। वे महात्मा गांधी के बड़े विरोधी थे और सार्वजनिक स्थानों पर इंसानों की कामुकता पर अपने विचार प्रकट करते थे। इसके अलावा, ओशो की कहानी क्या है और उनके क्या अनमोल वचन हैं, चलिए हम उन्हें जानते हैं।

ओशो का जीवन परिचय

ओशो का वास्तविक नाम चंद्रमोहन जैन है। इनको लोग रजनीश ओशो के नाम से जानते हैं। ओशो का जन्म दिसंबर 1931 में हुआ था। इनका जन्म स्थान मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में है। इनके पिता का नाम बाबूलाल जैन था और माता का नाम सरस्वती जैन था। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने जन्म स्थान से ही प्राप्त की थी। उनकी 58 साल की उम्र में हार्डअटैक की वजह से उनका निधन हो गया था।

ओशो के अनुसार, जीवन के मार्ग में अनमोल वचन, यानी सुंदर बातों की महत्वपूर्णता होती है। जब किसी व्यक्ति का मन अशांत होता है, तब महान पुरुषों द्वारा दिया गया ज्ञान उसकी मनःशांति को साधने में सहायता कर सकता है और उसे नई दिशा प्रदान कर सकता है। इस तरह के चिंताएं जो मन में पल रही हों, वे अनमोल वचनों में समाहित होती हैं।

ओशो की भारत यात्रा

ओशो ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद कॉलेज में पढ़ाना शुरू कर दिया। सन् 1966 में प्रोफेसर के पद से उन्होंने इस्तीफा दे दिया। उसके बाद उन्हें पछतावा हुआ कि वे समर्पित कर दिया हैं अपनी जिंदगी को उन लोगों के लिए, और उन्होंने अपने बारे में जानने की इच्छा प्राप्त की। ओशो आध्यात्मिक वादी थे और उनका ज्ञान सभी मनुष्यों के हकदार था, जो कि मनुष्य के रूप में इस पृथ्वी पर जन्म लेते हैं।

ओशो ने अपने संन्यासियों को “जोरबा दा युद्धा बुद्धा” कहकर संबोधित किया। इसका मतलब यह होता है कि व्यक्ति जो भौतिक जीवन का पूरा आनंद लेना चाहता है और गौतम बुद्ध की तरह ध्यान लगाने की मुद्रा में उतरना चाहता है, वह ओशो को समझे जाते थे। ओशो जीवन की संपूर्णता को स्वीकार कर बैठे थे और उन्होंने जीवन को बिखरते हुए नहीं देखा था।

ओशो के अनमोल वचन

जो व्यक्ति कुछ बनना नहीं चाहता, वही खुद से प्रेम कर सकता है।

हर व्यक्ति यहां अपने सपने पूरे नहीं कर रहा है, सभी लोग अपनी तकदीर को जी रहे हैं। यही जीवन की सच्चाई है, जैसा कि लोग मान बैठे हैं।

जब इंसान के जीवन में प्यार और नफरत दोनों अनुपस्थित हो जाते हैं, तो सब कुछ साफ और स्पष्ट नजर आने लगता है।

अज्ञानी व्यक्ति हमेशा दूसरों की बेवकूफियों पर हंसते हैं और ज्ञानी व्यक्ति सिर्फ अपनी खुद की बेवकूफियों पर हंसते हैं।

हमेशा इंसान को उस मार्ग पर नहीं जाना चाहिए जहां उसे डर लगता रहे। आप हमेशा उस मार्ग पर जाएं जहां आपको आनंद मिले और डर ना हो, यही आपके जीवन की सबसे बड़ी प्रसन्नता रहेगी।

सवाल यह नहीं है कि आप कितना सीख रहे हैं, बल्कि सवाल यह है कि आप कितना कुछ भूल भी रहे हैं।

“The day you think you know, your death has happened – because now there will be no wonder and no joy and no surprise. Now you will live a dead life.”

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