कहीं आप भी तो नहीं है भंडारे के शौकीन? जान लीजिए कैसे बन रहे हैं पाप के भागी?

भंडारे कराने की परंपरा से ले प्राचीन समय से चली आ रही है। पहले के समय में लोग को भोजन कराने की परंपरा ही कहा करते थे। भंडारा इसीलिए करते हैं ताकि जरूरतमंदों को भोजन मिल सके। अन्न दान करना हमारे हिंदू धर्म में बहुत बड़ा दान माना जाता है। अन्न दान करने से शरीर और आत्मा दोनों को ही संतुष्टि मिलती है। साथ में जो व्यक्ति भंडारा करता है उसको दुआएं भी मिल जाती है। हिंदू धर्म में भंडारे का एक अलग ही महत्व है। लेकिन क्या आप जानते हैं जो लोग भंडारा करते हैं। उस भंडारे को खाने वाले व्यक्ति को पाप का भागी भी बनना पड़ता है। अब इसके पीछे क्या है बड़ी वजह उसको जानते हैं। 

भंडारे इसलिए लगाते हैं

भंडारे के प्रसाद के लिए अलग-अलग लोगों के अलग-अलग मतभेद है। बहुत से ज्योतिष आचार्य भंडारे के खाने को निषेध मांगते हैं। उनका मानना है कि अगर भंडारे का प्रसाद पाते हैं तो उनको पाप अवश्य भोगना पड़ता है।

बड़े-बड़े ज्योतिषाचार्य के मतानुसार लोग भंडारे और लंगर का आयोजन इसीलिए करते हैं ताकि निर्धन और गरीब लोगों को खाना मिल सके। अन्न दान करना धनी लोग बड़ा पुण्य का काम करते हैं। इसीलिए समय-समय पर भंडारे और लंगर का आयोजन करते हैं।

मुख्य रूप से भंडारे उन लोगों के लिए किए जाते हैं जो लोग अपना पेट नहीं भर सकते है।जो बहुत ज्यादा गरीब व असहाय है वो जरूरतमंद लोगों के लिए अक्सर लोग भंडारे करते हैं। ऐसे भंडारे में अगर कोई सक्षम व्यक्ति जाकर भोजन करता है। भंडारे की प्रसादी को ग्रहण करता है तो निश्चित रूप से वह उन जरूरतमंद लोगों के हिस्से का भोजन ग्रहण कर रहा है। 

आपके भोजन ग्रहण करने से किसी निर्धन का पेट ना भर पाए और उस व्यक्ति को शायद भूखा भी रहना पड़ जाए। इसीलिए भंडारा खाते समय बहुत विशेष ध्यान रखना जरूरी है‌ आप किसी जरूरतमंद के हिस्से की रोटी को खाते हैं तो उसका आपको पाप अवश्य लगेगा।

यथाशक्ति करना चाहिए भंडारे के लिए दान

भंडारे में खाना खाना इसीलिए निषेध बताया गया है अगर आप एक जरूरत बंद नहीं है। आप पूरी तरह से सक्षम है और आप 4 लोगों को भोजन करवा सकते हैं। लेकिन आप ऐसा नहीं कर रहे हैं तो यह बिल्कुल गलत होगा। इसीलिए अगर कोई भंडारा हो रहा है तो उसमें आपको यथाशक्ति दान भी अवश्य देना चाहिए।

 अगर आप किसी भी भंडारे में अपना सहयोग देकर कुछ अंश भोजन का ग्रहण कर रहे हैं तो ठीक है। लेकिन आपको सहयोग दे भी नहीं रहे और किसी निर्धन जरूरतमंद के हिस्से का खाना खा रहे हैं तो वहां आपको पाप अवश्य लग सकता है।

भोजन कराने की परंपरा प्राचीन समय से ही चली आ रही है. अन्न दान करना आज के समय में भंडारे के रूप में प्रचलन में आया है. भंडारे लगाकर लोग गरीब और जरूरतमंदों को भोजन कराते हैं. भोजन कराने से शरीर और आत्मा दोनों को संतुष्टि मिलती है.

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