इंदिरा से लेकर अटल तक इस रजाई के रहे मुरीद, हड्डी गलाने वाली ठंड भी करती है कंट्रोल
जयपुर की इस रजाई का इतिहास 300 साल पुराना है. जयपुर की रजाई पहली बार स्वर्गीय कादर बक्श ने 1723 में बनाई थी. जिसके बाद जयपुर की इस रजाई के राजा महराजा तो इसके मुरीद थे ही बाद के दिनों में भारत के कई प्रधानमंत्रियों ने भी इस रजाई को गर्माहट को महसूस किया है.
जयपुरी रजाई अपनी गर्माहट के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं. जयपुरी रजाई का इतिहास 300 साल पुराना है. इस रजाई को पहली बार स्वर्गीय कादर बक्श ने 1723 में बनाई थी. जिसे सबसे पहले जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह को भेंट किया गया था. इसके बाद यह रजाई जयपुर आने वाले सभी अतिथियों को अंगवस्त्र को रूप में दिया जाने लगा.
आज जयपुरी रजाईयां स्वगीर्य कादर बक्श के नाम से हवामहल रोड़ पर दुकान नंबर 27 पर मिलती हैं और आज यह दुकान जयपुरी रजाई का प्रमुख केन्द्र है. कादर बक्श की 7वीं पीढ़ी के अब्दुल अतीक ने बताया की एक बार प्रधानमंत्री राजीव गांधी किसी कार्यक्रम के चलते जयपुर आए थें तब हमने उन्हें स्पेशल 100 ग्राम का गाउन भेट किया और उन्होंने उस गाउन को उसी समय पहनकर देखा और उन्हे वह बहुत पंसद आया.
जयपुरी रजाई अपनी गर्माहट और हल्के भार के लिए सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है. आम रजाई 2 से 3 किलों कि होती हैं. जिसमें रुई के साथ फाइबर मिक्स होता हैं. लेकिन असली जयपुरी रजाई 100 ग्राम की होती हैं. जिसमें हम उच्च गुणवत्ता की रुई का स्तेमाल होता है.जिसे हाथों से तैयार किया जाता है.जब जयपुरी रजाई की शुरुआत हुई थी तब सिर्फ महिने में सिर्फ 5 रजाई ही तैयार होती थी. लेकिन अब डिमांड के हिसाब से महीने में खूब सारी रजाईयां तैयार होती हैं. जयपुर के लोगों के अलावा देश-विदेश से जयपुर घूमने आने वाले पर्यटक जयपुरी रजाई को खूब खरीदते हैं.