31 देशों में 230 मिलियन महिलाओं का जेनिटल म्यूटिलेशन, क्यों कराई जाती है ये सर्जरी?

पूरी दुनिया में 8 मार्च 2024 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है, लेकिन इसी बीच यूनिसेफ से ऐसे आंकड़े सामने आए हैं,जो बताते है कि आज भी महिलाएं कई पुरानी प्रथा का दर्द झेल रही हैं.

दरअसल यूनिसेफ ने गुरुवार को एक नई रिपोर्ट में कहा कि दुनिया भर में महिला जननांग विकृति (female genital mutilation) के सर्वाइवर की संख्या 230 मिलियन से अधिक है, हालांकि कुछ देशों में इस प्रथा के खिलाफ काम किए गए है. जिसके बावजूद 2016 के बाद से 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी आंकड़ों में देखी गई हैं.

क्या होता है एफजीएम

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जारी रिपोर्ट में प्रमुख लेखक क्लाउडिया कोप्पा ने कहा कि “एफएमजी की संख्या पहले से कई अधिक बड़ी है.” महिला जननांग विकृति, जिसे एफजीएम के रूप में जाना जाता है,इस प्रथा में भगशेफ (clitoris) के साथ-साथ लेबिया मिनोरा (labia minora) को आंशिक या पूरी तरह से हटा दिया जाता है. और इसे बंद करने के लिए योनि (vagina) में टांके लगाए जाते हैं. एफजीएम से बहुत ज्यादा खून बहने का डर रहता हैं,या ये किसी दूसरी बिमारी की बड़ी वजह बन सकता है. इस से महिलाओं को कई और समस्याएं भी होसकती है. जैसे- बच्चे पैदा करने में समस्या, मृत बच्चे का जन्म. कुछ समाजों में,इस प्रथा को लड़कियों की पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी माना जाता है.

एफजीएम क्यों कराया जाता है

एफजीएम की प्रथा कई सालों से चली आ रही हैं. कुछ समाजों में इस प्रथा को लड़कियों की पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी माना जाता है. कोप्पा बताती हैं कि “जिन लड़कियों का एफजीएम नहीं हुआ है, उनसे शादी नहीं की जाती. यूनिसेफ जहां एफजीएम पर रोक लगाने वाले कानूनों पर जोर देता है, वहीं लड़कियों की शिक्षा के महत्व पर भी जोर देता है. जहां तक पुरुषों और लड़कों का सवाल है, कुछ देशों में लोग एफजीएम को जारी रखने के पक्ष में हैं, वहीं अन्य देशों में महिलाएं और लड़कियां सदियों पुरानी प्रथा को छोड़ने नहीं चाहती हैं.

अफ्रीका में एफजीएम के सबसे अधिक सर्वाइवर

31 देशों के सर्वे के अनुसार,एफजीएम के सर्वाइवरों की संख्या सबसे अधिक अफ्रीका में है, 144 मिलियन से अधिक सर्वाइवर अफ्रीका में रहते है.वहीं ये संख्या एशिया में (80 मिलियन)और मध्य पूर्व में (6 मिलियन) से ज्यादा है. हालांकि एफएमजी की संख्या यूनीसेफ के लगातार प्रयास से कम हुई है. सिएरा लियोन जो कि पश्चिम अफ्रीका के करीब एक देश है वहां 15 से 19 वर्ष की उम्र की लड़कियों का जननांग विकृति का प्रतिशत 30 वर्षों में 95 प्रतिशत से गिरकर 61 प्रतिशत पहुंचा है. इथियोपिया, बुर्किना फासो और केन्या में भी गिरावट दर्ज की गई है.

एफजीएम का आंकड़ा 99 प्रतिशत से ज्यादा

एफजीएम के हैरान कर देने वाले आंकड़े सोमालिया से सामने आए है, जहां 15 से 49 वर्ष के बीच की 99 प्रतिशत महिलाओं को जननांग विकृति का सामना करना पड़ा है, साथ ही गिनी में 95 प्रतिशत, जिबूती में 90 प्रतिशत और माली में 89 प्रतिशत महिलाओं ने जननांग विकृति का सामना किया है. यूनिसेफ प्रमुख कैथरीन रसेल ने कहा कि “यह प्रथा कम उम्र में, कई लोग अपने पांचवें जन्मदिन से पहले ही शुरू कर देते हैं.”

बदलाव की तरफ एक कदम

संयुक्त राष्ट्र के एजेंडे में महिला विकास के लिए क्लाउडिया कोप्पा ने कहा कि “2030 तक इस प्रथा को खत्म करने के लिए नोप्रोग्रेस को मौजूदा स्तर से 27 गुना तक बढ़ाने की जरूरत है. लेकिन ये प्रथा सालों से चली आरही है इसलिए प्रथाओं को बदलने में समय लगेगा. लेकिन यूनीसेफ इस प्रथा को खत्म करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है. साथ ही महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा पर इन देशों में जोर दिया जा रहा है.

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