International Womens Day 2024: महिलाएं खुद के स्वास्थ्य को न करें नजरअंदाज, तेजी से बढ़ रही हैं ये बीमारियां

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिलाओं को ये जानना बेहद जरूरी है कि हर क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन करने के साथ साथ, घर परिवार के साथ कामकाज की जिम्मेदारी बखूबी निभाने के बाद उन्हें खुद के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना बहुत जरूरी है.

वर्ना अपने स्वास्थ्य के प्रति ये लापरवाही उनको और उनके परिवार को काफी मंहगी पड़ती है क्योंकि महिलाओं में पिछले कुछ सालों में ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, इंफर्टिलिटी, हार्ट से संबंधित बीमारियां, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, पीसीओडी जैसी बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ा है. ऐसे में महिलाओं को परिवार की जिम्मेदारी के साथ साथ अपने स्वास्थ्य की बागडोर भी अपने हाथ में लेनी होगी ताकि वक्त रहते वो इन खतरनाक बीमारियों की चपेट में आने से खुद को बचा सकें.

महिलाओं से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं

डॉक्टर मनजीता नाथ दास, सीनियर कंस्लटेंट, इंटरनल मेडिसिन, नारायणा हॉस्पिटल कहती हैं कि कुछ स्वास्थ्य समस्याएं महिलाओं को विशेष रूप से प्रभावित करती हैं. जिनमें स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, मेनोपॉज, प्रेगनेंसी और यूटीआई से जुड़ी समस्याएं महिलाओं में बेहद आम देखी जा रही हैं. इसके साथ ही हृदय रोग भी महिला और पुरुष दोनों को समान रूप से प्रभावित करते हैं लेकिन महिलाओं में हृदय रोग की आशंका पुरुषों की तुलना में अधिक रहती है. बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं में गठिया की समस्या होने का खतरा अधिक रहता है. पुरुषों की तुलना में महिलाएं अवसाद और चिंता से अधिक प्रभावित होती हैं, प्रसव के बाद महिलाओं में अवसाद का डर बना रहता है. महिलाओं में स्ट्रोक के मामले भी अधिक रहते हैं क्योंकि गंर्भनिरोधक दवाओं, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी और गर्भावस्था के चलते स्ट्रोक का खतरा ज्यादा हो जाता है. अधिक तनाव से बांझपन होने का खतरा भी बढ़ जाता है. इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए वर्तमान समय में महिलाओं को अपने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है जिसके लिए 30 साल की उम्र के बाद उन्हें अपना रेगुलर चेकअप जरूर कराना चाहिए.

महिलाओं पर स्वास्थ्य समस्याओं का असर

गाइनेकोलॉजी ऑंकोलॉजी डिपार्मेंट की डॉक्टर उपासना पालो बताती हैं कि पूरे विश्व में भले ही महिलाओं की आबादी बढ़ रही है, लेकिन महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर जरुरी ध्यान नहीं दिया जा रहा है. हर साल लगभग 5 लाख महिलाएं स्तन और सर्वाइकल कैंसर के चलते मौत का शिकार हो जाती हैं, अगर इन कैंसर का सही समय से पता चल जाए तो ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है. प्रेगनेंसी एक जटिल प्रक्रिया है आमतौर पर यूटीआई और बैक्टीरिया संक्रमण गर्भधारण की क्षमता को प्रभावित नहीं करते लेकिन ध्यान न देने पर इनके हानिकारक परिणाम हो सकते हैं. प्रेगनेंसी के पहले और बच्चे के जन्म के बाद सही देखभाल और जागरूकता की कमी के चलते माँ के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. ज्यादातर लोग हृदय रोगों को पुरुषों से ही जोड़ते हैं लेकिन महिलाओं में भी हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और धूम्रपान के चलते हृदय रोगों का खतरा तेजी से बढ़ा है. एचआईवी के पहले मामले के तीन दशक बाद भी अभी भी इसका खतरा खत्म नहीं हो पाया है खासकर युवा महिलाओं में एचआईवी का खतरा अधिक रहता है. इसी तरह एचपीवी या अन्य यौन संचारित रोग, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और कम उम्र में स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े हुए अहम मुद्दे हैं.

महिला स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति सावधानी और जागरूकता

डॉक्टर रजनी बगई, कंसल्टेंट- गाइनेकोलॉजिस्ट एंड ओब्सटीट्रिशियन, नारायणा हॉस्पिटल कहती हैं कि महिलाओं में होने वाले घातक स्तन और सर्वाइकल कैंसर के प्रति जागरूकता, स्क्रीनिंग, एचपीवी के टीकाकरण में आसानी, विशेष रोकथाम और सस्ते इलाज की उपलब्धता मृत्यु दर को कम करने के लिए बहुत आवश्यक है. परिवार के साथ पूरे समाज में प्रजनन स्वास्थ्य के प्रति फैली अफवाहों को दूर करना बहुत जरूरी है. इसी के साथ गर्भनिरोधक के प्रयोग के बारे में सही जानकारी और सही यौन शिक्षा महिला के बेहतर स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है. गर्भावस्था के पहले और उसके दौरान जरूरी स्क्रीनिंग, जाँच, टीकाकरण की सुलभता, जरूरी पोषण, व्यायाम और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल महिलाओं को गर्भावस्था से जुड़ी समस्याओं से बचा सकती है. इसके अलावा हृदय रोग, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, गठिया और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं महिलाओं में तेजी से बढ़ी हैं इसलिए समाज में महिला स्वास्थ्य के प्रति शिक्षा, जागरूकता और सुलभ उपचार की बहुत आवश्यकता है.

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