गर्लफ्रेंड से शादी के बाद भी नहीं मान रहा परिवार, तो ये कानून करेगा आपकी मदद

जब आप अपने पार्टनर को लंबे समय तक डेट करते हैं और उनसे बेहद ही मोहब्बत करते हैं तो यह सपना जरूर होता है की शादी भी उनके साथ ही हो. अक्सर बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड में दरार जब पड़ जाती है जब कोई कहता है कि पापा नहीं मानेंगे या मम्मी नहीं मानेंगे. लेकिन अगर आपकी गर्लफ्रेंड और आप दोनों ही मान गए हो और एक दूसरे से शादी के बंधन में भी बंध चुके हो लेकिन फिर भी परिवार नहीं मान रहा है. या फिर आपकी गर्लफ्रेंड को कैद करने के साथ ही आपको भी धमकाया जा रहा है तो घबराइए मत, आपकी भी कानून रक्षा करेगा.

वरिष्ठ अधिवक्ता ताहिर हुसैन ने बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में बिल्कुल स्पष्ट है राइट टू लीव एंड पर्सनल लिबर्टी के बारे में. जब कोई लड़का 21 वर्ष और लड़की 18 वर्ष के ऊपर की हो जाती है.तो इसके बाद उन्हें कानून की नजर में बालिग़ समझा जाता है और उन्हें अपना लाइफ पार्टनर चुनना और अपना जीवन जीने का पूरा अधिकार होता है.

हो सकती है कानूनी कार्रवाईऐसे में लड़का या लड़की अपने इच्छा अनुसार जीवनसाथी चुन सकते है. अगर सारी कानूनी फॉर्मेलिटी और क्राइटेरिया को फुलफिल करने के बाद लड़का और लड़की शादी के बंधन में बंध जाते है और उसके बाद किसी भी तरीके की परेशानी लड़के वाले या लड़की वाले की तरफ से हो तो फिर उन पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है.

इस स्थिति में उतपन्न हो सकता है विवाददरअसल,अनुच्छेद 21 के तहत कपल को सुरक्षा भी प्रदान होती है.अगर लड़की को घर में उनका परिवार बंद करके रख देता है और लड़के को भी धमकाया जा रहा है फिर उस स्थिति में लड़के को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील करना चाहिए. फिर अपील के माध्यम से कोर्ट के जरिए दोनों पक्षों के सुनने के बाद लड़के को मुनाफा हो सकता है. लेकिन अगर लड़की ने शादी से इनकार कर दिया या किसी भी क्राइटेरिया में यह शादी फुलफिल नहीं हो पाई तो फिर वहां पर विवाद उत्पन्न हो सकता है.

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