भगवान शिव और पार्वती की पुत्री अशोक सुंदरी की पूजा सोमवार को क्यों की जाती है, जानें पद्मपुराण में लिखी इनके जन्म की अद्भुत कहानी

आपने भगवान शिव के बारे में बहुत-सी कहानियां पढ़ी और सुनी होगी। आमतौर पर ज्यादातर कहानियों में भगवान शिव, पार्वती, कार्तिकेय और गणेश जी का उल्लेख होता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव की पुत्रियां भी हैं। मनसा देवी के अलावा भगवान शिव की एक और पुत्री है, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं, भगवान शिव की पुत्री अशोक सुंदरी के बारे में। महादेव की पुत्री अशोक सुंदरी के बारे में कहा जाता है कि सोमवार के दिन देवी अशोक सुंदरी की पूजा करने से न केवल धन लाभ के योग बनते हैं बल्कि बंद पड़े व्यापार भी फिर से शुरू हो जाते हैं, इसलिए अगर आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं चल रही है, तो आप भगवान शिव की पुत्री अशोक सुंदरी की आराधना जरूर करें। आइए, जानते हैं उनके बारे में खास बातें।

कैसे हुआ महादेव और देवी पार्वती की पुत्री अशोक सुंदरी का जन्म

अशोक सुंदरी के जन्म का उल्लेख पद्मपुराण में मिलता है। इसके अनुसार एक दिन माता पार्वती भगवान शिव के साथ घूमने के लिए वन गई। वहां पर माता पार्वती ने कल्पवृक्ष को देखा। कल्पवृक्ष के पास जाकर माता पार्वती ने अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए एक ऐसी सखी को मांगा, जिससे वे अपने मन की सारी बातें कह सके और एक मां की तरह वासल्य भी दे सके। कल्पवृक्ष को मनोपूर्ति करने वाला वृक्ष कहा जाता है। कल्पवृक्ष ने माता पार्वती की बात सुनी और उन्हें एक पुत्री प्रदान की। पार्वती और महादेव के जीवन में इस पुत्री के आने से सारे उत्साह और अपार प्रसन्नता का संचार हुआ और देखने में यह बालिका किसी अप्सरा जैसी सुंदर थी, इसलिए इस कन्या का नाम अशोक सुंदरी रखा गया।

सोमवार को महादेव की पुत्री अशोक सुंदरी की पूजा क्यों की जाती है

अशोक सुंदरी की पूजा भगवान शिव और पार्वती के साथ की जाती है। सोमवार का दिन महादेव का माना जाता है, इसलिए महादेव ने अपनी पुत्री को वरदान दिया था कि उनकी पूजा भी सोमवार को की जाएगी। अशोक सुंदरी की पूजा करने के लिए सबसे पहले गंगाजल और शुद्ध जल मिलाकर शिवलिंग को स्नान कराएं। शिवलिंग में जिस स्थान से बहकर जल निकलता है, उस स्थान को अशोक सुंदरी का स्थान कहा जाता है।

इसके बाद अशोक शिवलिंग पर चंदन का तिलक लगाएं। अशोक सुंदरी वाले स्थान पर भी चंदन का तिलक लगांए।

अब शिवलिंग पर बेलपत्र, फूलमाला अर्पित करें। इसके बाद अशोक सुंदरी का ध्यान करते हुए अपनी मनोकामना अशोक सुंदरी को बताएं और उन्हें पूरा करने की प्रार्थना करें।

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