एमएस धोनी को टीम इंडिया में कैसे मिली जगह, पूर्व इंडियन स्टार पार्थिव पटेल ने किया खुलासा
टीम इंडिया के अब तक के सबसे सफल कप्तान में गिने जाने वाले महेंद्र सिंह धोनी ने अपने इंटरनेशनल डेब्यू के तुरंत बाद ही वनडे और टेस्ट टीम में अपनी खास पहचान बना ली. इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने बाद में क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में टीम की कप्तानी की. 2007 में भारत को टी20 विश्व कप में जीत दिलाने के बाद धोनी को वनडे और टेस्ट का भी कप्तान बना दिया गया. इसके बाद एमएस धोनी ने 2011 में भारत को वनडे वर्ल्ड कप में भी जीत दिलाई. धोनी की अगुवाई में ही भारत ने चैंपियंस ट्रॉफी भी जीती है. अब सवाल यह है कि झारखंड के एक छोटे से शहर रांची से निकलकर आखिर टीम इंडिया के इतने प्रभावी क्रिकेटर कैसे बन गए.
कप्तान के रूप में शानदार रहे हैं धोनी
कप्तान के रूप में एमएस धोनी का कार्यभार प्रबंधन इतना शानदार था कि विपक्षी टीम के खिलाड़ी भी उनकी तारीफ करते नहीं थकते थे. विकेट के पीछे उनकी प्रतिभा बेजोड़ थी. धोनी एक ऐसे ऑलराउंडर थे जिसकी तलाश भारत को हमेशा से थी. धोनी ने टीम का नेतृत्व किया, विकेटकीपिंग की और बल्ले से अच्छा प्रदर्शन किया. उनके रहते पार्थिव पटेल और दिनेश कार्तिक टीम से बाहर रहे. ऋद्धिमान साहा ने धोनी के दौर में टीम इंडिया में जगह बनाई लेकिन उन्हें टीम में तभी शामिल किया गया जब भारत को बैकअप की जरूरत थी.
पार्थिव ने धोनी की जमकर की तारीफ
राष्ट्रीय टीम में तेजी से जगह बनाने वाले पार्थिव पटेल ने धोनी की जमकर तारीफ की और खुलासा किया कि उन्हें टीम इंडिया के लिए क्यों चुना गया. अपनी सफलता का श्रेय धोनी को देते हुए पार्थिव ने कहा कि बेशक, धोनी महान रहे हैं. इसके बारे में कोई संदेह नहीं है. लेकिन जब आप पहले कप्तान होते हैं, तो आपके मन में हमेशा उसके लिए एक नरम कोना होता है. और बिल्कुल यही मेरे पास है. मैंने चेन्नई सुपर किंग्स के लिए तीन साल तक खेला है. मैं यह कह सकता हूं, लेकिन मैंने अपना टेस्ट डेब्यू या वनडे डेब्यू धोनी के आने से पहले किया था.
धोनी को लेकर पार्थिव का बड़ा खुलासा
पार्थिव ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि मेरा प्रदर्शन खराब हो गया था. इसीलिए धोनी को चुना गया. इसलिए मुझे लगता है कि इसका श्रेय उनको जाता है. मैंने हमेशा यह कहा है कि आपको केवल एक ही मौका मिलता है क्योंकि आसपास बहुत सारे खिलाड़ी होते हैं. दिलचस्प बात यह है कि पार्थिव ने धोनी के संन्यास के दो साल बाद टेस्ट टीम में वापसी की. उन्होंने 2016 में इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू श्रृंखला के आखिरी तीन टेस्ट खेले. ऋद्धिमान साहा की वापसी पर पार्थिव को बाहर कर दिया गया.
पार्थिव ने 2020 तक खेला आईपीएल
टीम इंडिया के साथ पार्थिव का आखिरी कार्यकाल 2018 में आया था. उन्होंने पेशेवर क्रिकेट से संन्यास लेने से पहले आईपीएल में 2020 तक खेला था. खेल के दिग्गजों में से एक, पार्थिव ने टीम इंडिया के लिए 25 टेस्ट, 38 वनडे और 2 टी20 मैच खेले हैं. टेस्ट में पार्थिव ने 937 रन बनाए हैं. वनडे की बात करें तो उन्होंने 736 रन बनाए हैं. टी20 की दो पारियों में पार्थिव के नाम 36 रन हैं.