शिवलिंग पर इस दिशा में खड़े होकर अगर चढ़ाया जाए जल, मिलेगा अद्भुत अलौकिक फल…

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पैसे तो कोई दिशा या किसी समय का निश्चित होना जरूरी नहीं है। कहते हैं भगवान की पूजा आप किसी भी समय कभी भी कर सकते हो। भोले नाथ सर्वव्यापी है और उनकी पूजा 24 घंटे में कभी भी की जा सकती है। यहां जल चढ़ाने की अगर बात की जाए तो शिवजी पर जल आप किसी भी दिशा में खड़े होकर चढ़ा सकते हो। लेकिन कुछ धार्मिक मान्यता ऐसी है जिनके अनुसार अगर आप उस दिशा में खड़े होकर जल चढ़ाएंगे तो शायद उसका फल आपको और भी अधिक मिलेगा।

भगवान आपकी हर मनोकामना को जल्द ही पूरा करेंगे। इसीलिए भगवान शिव को जल चढ़ाते समय आप इस दिशा के बारे में जानकारी अवश्य करें। आपको इसका अच्छा फल मिलेगा और भगवान शिव जल्दी ही प्रसन्न होंगे। शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव को जल चढ़ाने के लिए कौन सी निश्चित दिशा का वर्णन किया गया है आइए जानते हैं…

इस दिशा में भूलकर भी ना चढ़ाएं जल

भगवान शिव को जल चढ़ाने के लिए आपका कभी भी उत्तर पूर्व या पश्चिम दिशा की तरफ मुख नहीं होना चाहिए अगर आप इन दिशा में मुख करके शिवजी को जल चढ़ाते हैं तो भगवान आपसे कभी प्रसनल नहीं होंगे

जल चढ़ाने का सही नियम

भगवान शिव पर जल चढ़ाने के लिए उत्तर पूर्व पश्चिम दिशा में मुख करना इसलिए सही नहीं होता है क्योंकि इन दिशाओं में भगवान शिव का पीठ कंधा होते हैं। इस वजह से इन दिशाओं में खड़े होकर जल चढ़ाना शुभ नहीं होता है। और भगवान भी प्रसन्न नहीं होते है। और वह शुभ फल भी नहीं देते है।

सही दिशा

भगवान शिव को जल चढ़ाना है तो आप दक्षिण दिशा में मुंह करके जल चढ़ाएं दक्षिण दिशा भगवान शिव के जल अर्पित करने के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है जवाब दक्षिण दिशा में मुख करते हैं तो आप काजल उत्तर दिशा की तरफ गिरना चाहिए ऐसा करने से भगवान शिव की कृपा हमेशा आप पर बनी रहेगी और आपकी सभी मनोकामना वह पूरा करेंगे

जल की धार

जब भगवान शिव पर जल चढ़ा रहे हैं तो आपकी जल की धार की गति बहुत धीमी होनी चाहिए अगर आप तेज गति के साथ जल की धार भोलेनाथ पर अर्पित कर रहे हैं तो यह भी सही नहीं होता है इसीलिए जब भी शिवलिंग पर जलाभिषेक करें तो बिल्कुल धीरे धीरे करें।

शिव की परिक्रमा

भगवान भोलेनाथ के मंदिर में जब आप जल चढ़ाने जाते हैं तो यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि आप शिव परिवार की जब परिक्रमा करते हैं तो यहां परिक्रमा शिव परिवार की पूरी नहीं लगती है जिस स्थान से होकर भगवान शिव का जल बहता है परिक्रमा केवल महत्व की लगाई जाती है उस स्थान को लांग कर परिक्रमा लगाने से भगवान शिव आप पर प्रसन्न नहीं होंगे।

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