पुराने औजारों को नजरअंदाज कर रहे थे एक्सपर्ट, ध्यान देने पर पता चला, खास था आदि मानवों का हुनर!
इंसान के पूर्वजों में दिमाग कितना तेज था इस बारे में हमारे पुरातत्वविशेषज्ञों के पास कम ही जानकारी है. लेकिन हाल ही में हुए अध्ययन में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. पाया गया है कि आधुनिक मानव के पूर्वजों में से एक माने वाले निएंडरथाल के पार एक अनोखी काबिलियत थी जिससे आविष्कार करने की क्षमता के लिए जरूरी उनके तेज दिमाग के बारे में पता चलता है. पाया गया है कि निएंडरथॉल ने चिपकाने वाले पदार्थ बना लिए थे और उनका उपयोग कर वे बेहतर किस्म के उपकरण बनाया करते थे.
इस तरह से गोंद की तरह चिपकाने वाला पदार्थ बनाने के यूरोप में सबूत मिलना बताता है कि निएंडरथॉल कैसे उच्च स्तर की सोच रखा करते थे और उसके साथ ही उनका सांस्कृतिक विकास भी पिछली जानकारी के मुकाबले कितना ज्यादा था. ये नतीजे न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी, ट्यूबिनेन यूनिवर्सिटी और नेशनल म्यूजियम इन बर्लिन के वैज्ञानिकों के मिले जुले प्रयासों से मिले हैं.
इन उपकरणों की खास बात ये है कि ये शुरुआती आधुनिक मानव के बनाए उकरणों से काफी मेल खाते हैं. लेकिन साथ ही उसमें निएंडरथॉल की छाप भी दिखाई देती है. ये फ्रांस की एक पुरातन स्थलल में पाए गए थे, जो कि मध्य पुरापाषाण (मिडिल पेलियोलिथिक) युग के करीब 1.2 लाख से 40 हजार साल के बीच के समय बने थे.वैज्ञानिकों का कहना है कि यह चीजें पहले काफी नजरअंदाज की गई थीं. जब इनका नजदीकी से अध्ययन किया गया तो पता चला कि ये तो गेरू और डामर से बना चिपकाने वाला पदार्थ है. जिसमें गेरू की मात्रा अधिक थी. यह पदार्थ पत्थर के उकरणों को जोड़े रखने के लिए काफी था.
उपकरणों को माइक्रोस्कोप से जब देखा गया तो पाया कि इनमें यही चिपकाने वाला पदार्थ उपयोग में लाया गया है. इनकी खास घिसाई और पोलिश करने किए जाने के संकेत बताते हैं कि ये उपकरण कैसे उपयोग में लाए जाते रहे होंगे और शुरुआती इंसानों का तकनीकी विकास की क्षमताएं कैसे पनपने लगी थीं. इससे यह भी पता चलता है कि निएंडरथॉल होमोसेपियन की ही तरह से दिमाग से तेज होते जा रहे थे. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस खोज से मानव विकास के इतिहास में बड़ा बदलाव आएगा.