ताउम्र जवां रखता है ये विदेशी फल, भाव ₹500 किलो, बंगाल के किसान ने की खेती, हो रहा मालामाल!

हम जिस विदेशी फल की बात कर रहे हैं वह मूल रूप से ब्राजील, पराग्वे और अर्जेंटीना में होता है. लेकिन, अब भारत के किसान भी इसे अपनी मिट्टी में उगाने लगे हैं. स्वास्थ्य के नजरिये से यह एक बेहतरीन फल है. इमसें जरूरी पोषक तत्वों के अलावा विटामिन ए और सी परचूर मात्रा में पाया जाता है. इसमें पोटैशियम, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट भी खूब पाया जाता है. ये ऐसी चीजें हैं जो हमारी बॉडी को स्वस्थ रखने के लिए बुहत जरूरी होती है. विटामिन ए और सी तो ऐसी चीज हैं जो आपको बीमार होने से बचाती है. ये हमारे शरीर की रोप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ त्वचा की चमक बरकरार रखती है.

इस फल का नाम है पैशन, जिसे भारत में कृष्ण फल कहा जाता है. बाजार में अच्छी गुणवत्ता का कृष्ण फल करीब 400 से 500 रुपये किलो है. अगर आप रोज 100 से 150 ग्राम कृष्ण फल का सेवन करते हैं तो कुछ ही दिनों में आप अपनी बॉडी में बदलाव देख सकते हैं. इसमें परचूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है. इस कारण इसके सेवन से पाचन तंत्र भी एकदम नॉर्मल हो जाता है. सैकड़ों गुणों से भरपुर यह फल वजट घटाने, कोलेस्ट्रॉल कम करने और दिल की सेहत सुधारने मे काफी कारगर है.

बाजार में अच्छी मांग

इसकी खेती अब विभिन्न राज्यों में व्यापक रूप से की जा रही है. पश्चिम बंगाल के किसान भी अपने यहां इसे उगा रहे हैं. बाजार में अच्छी मांग के कारण किसान इस फल की खेती कर मोटा मुनाफा भी कमा रहे हैं. कई किसान मालदह की धरती पर पैशन फ्रूट की खेती शुरू कर चुके हैं. ऐसे ही एक किसान हैं कार्तिक राम. वर्तमान में उनकी भूमि पर इसकी अच्छी पैदावार हो रही है. उन्होंने बताया कि पौध रोपण में जैविक खाद का ही प्रयोग करना चाहिए. इसकी तलाएं 6 महीने के अंदर फल देने लगती हैं. एक जड़ से निकली लताओं से लगातार 15 वर्षों तक फल लिया जा सकता है. यह फल बहुत महंगा है. इस समय भारत में इसकी भारी मांग है.

15 साल तक आते हैं फल

फिलहाल पश्चिम बंगाल में व्यापक स्तर पर इसकी खेती नहीं होने के कारण पौधे उपलब्ध नहीं हैं. कृष्ण फल के पौधे दक्षिण भारत से लाने पड़ते हैं. खेती की विधि बहुत सरल है. इस फल को उगाने के लिए किसी रसायन या उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है. रोपण से पहले केवल गोबर लगाना चाहिए. यदि आप नियमित रूप से पानी देंगे तो इसकी तलाएं जल्दी बढ़ेंगी.

बोए जाने के करीब छह माह के भीतर इन लताओं में फूल आ जाते हैं. फरवरी-मार्च में फूल आते हैं और सितंबर में उन फूलों में फल लगते हैं. सितंबर से पेड़ में फिर से फूल आना शुरू हो जाते हैं और जनवरी, फरवरी के आसपास फल पकने लगते हैं. ठीक से फैल जाने के बाद ये लताएं लगभग 15 वर्षों तक फल दे सकती हैं.

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