land occupied: क्या सरकारी और पंचायती जमीन के बन सकते हैं मालिक, जानिये सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला
उन्होंने यह बात हरियाणा के सोनीपत जिले में गोहाना तहसील के सरसाद गांव के निवासियों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कही, जिन्होंने पंचायती जमीन पर कब्जा (possession of panchayat land) जमाकर घरों का निर्माण किया है।
हरियाणा सरकार (Haryana Government) ने 2000 में ‘अबादी देह’ (एक राजस्व संपत्ति का आवासीय क्षेत्र) के बाहर अनाधिकृत रूप से पंचायती जमीन की बिक्री के संबंध में एक नीति बनाई। हरियाणा ने पंजाब विलेज कॉमन लैंड्स (रेगुलेशन) रूल्स, 1964 में भी संशोधन किया और 2008 में एक नोटिफिकेशन जारी किया।
इसके बाद 3 जनवरी, 2008 की अधिसूचना के संदर्भ में नियम 12 (4) को 1964 के नियमों में शामिल कर लिया गया, जो ग्राम पंचायत को अपनी गैर-खेती योग्य जमीन (non-cultivable land) को गांव के उन निवासियों को बेचने का अधिकार देता है, जिन्होंने 31 मार्च, 2000 को या उससे पहले यहां अपना घर बनाए हैं।
मामले में ग्राम पंचायत की भूमि (gram panchayat land) पर अवैध कब्जा करने वाले याचिकाकर्ताओं ने पंजाब विलेज कॉमन लैंड्स (विनियमन) नियम, 1964 के नियम 12 (4) के तहत एक आवेदन किया।
सोनीपत के उपायुक्त ने रिकॉर्ड और साइट की रिपोर्ट के आधार पर उनके आवेदन को खारिज (application rejected) कर दिया। उन्होंने कहा कि चूंकि आवेदकों ने आवश्यक 200 वर्ग गज तक के क्षेत्र से अधिक क्षेत्र पर अवैध कब्जा किया हैं.
वे नियम 12 (4) के लाभ के हकदार नहीं हैं। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने प्राधिकरण द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने वाली एक रिट याचिका को खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सक्षम प्राधिकारी के साथ-साथ हाई कोर्ट के फैसले को भी इस दृष्टि से जायज ठहराया कि संबंधित याचिकाकर्ताओं ने अधिकतम 200 वर्ग गज तक के क्षेत्र से अधिक क्षेत्र पर कब्जा कर रखा है, वे नियम 12 (4) के तहत लाभ के हकदार नहीं हैं।