भारत के चावल से थाईलैंड को लग गई मिर्ची! जानिए WTO में अमीर देशों ने कैसा खेल किया

भारत एक कल्याणकारी राज्य है। हमारे संविधान में इसकी अवधारणा स्पष्ट की गई है। इसका मतलब है कि भारत में सरकारें जनकल्याण के कार्यों की चिंता करेंगी और अपना नफा-नुकसान देखने के बजाय जनता के हितों को सर्वोपरि रखेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार भी इस जिम्मेदारी को पूरा करने के प्रयास कर रही है जिसके तहत किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कई अनाज खरीदे जाते हैं। सोचिए, सरकार की इस योजना से थाईलैंड को मिर्ची लग गई।

मोदी सरकार की योजना से थाईलैंड को लग गई मिर्ची!

डब्ल्यूटीओ में थाईलैंड की राजदूत पिम्चनोक वोंकोरपोन पिटफील्ड ने भारत पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिए सब्सिडी वाले चावल बांटने पर आपत्ति जता दी। थाई राजदूत ने कहा कि भारत सब्सिडी वाला चावल का उपयोग करके एक्सपोर्ट मार्केट पर हावी हो जाता है। थाई के राजदूत के इस बयान पर कूटनीतिक विवाद खड़ा हो गया। भारत ने इस बयान पर अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया और थाई राजदूत की मौजूदगी वाले कुछ सामूहिक चर्चाओं (ग्रुप डिस्कशंस) में भाग लेने से इनकार कर दिया।

अमीर देशों का मुखौटा बना हुआ है थाईलैंड

दूसरी तरफ, अमीर देशों ने थाई राजदूत की टिप्पणी का सराहना कर दी तो भारत ने उनसे भी अपनी कड़ी नाराजगी का इजहार किया। मंगलवार को एक परामर्श बैठक के दौरान थाई राजदूत की टिप्पणी को अमीर देशों के प्रतिनिधियों का समर्थन मिला, जिससे भारतीय प्रतिनिधिमंडल को काफी निराशा हुई। दरअसल, थाईलैंड वर्षों से अमेरिका, यूरोपीय यूनियन (ईयू), कनाडा और ऑस्ट्रेलिया का मुखौटा बना हुआ है। अमीर देश अपने हित साधने के लिए थाइलैंड को आगे करते हैं, जो दस साल से भी ज्यादा समय से पब्लिक स्टॉकहोल्डिंग के लिए एक स्थायी समाधान का रास्ता निकालने नहीं दे रहा है।

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