रेलवे ने लोको पायलट को किया बर्खास्त, गंभीर लापरवाही से जुड़ा ये था पूरा मामला

कठुआ में बिना पायलट के 84 किमी. तक चली मालगाड़ी के मामले में रेलवे ने लोको पायलट को नौकरी से हटा दिया है. शुरुआती जांच के बाद उसको इस पूरे मामले में दोषी पाया गया था. सूत्र बताते हैं कि इस मामले में कई और लोग जांच के दायरे में हैं. इस मामले में लोको पायलट के साथ ही स्टेशन मास्टर, पॉइंटमैन और असिस्टेंट लोको पायलट को तत्काल सस्पेंड किया गया था. हालांकि ये चार अधिकारी ही लोड स्टेबल करने के लिए जिम्मेदार थे. गौरतलब है कि एक मालगाड़ी कठुआ स्टेशन से बिना लोको पायलट के ही करीब 84 किलोमीटर तक चली गई थी. इस मामले में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई लेकिन ये एक बड़ी चूक थी. इसे लेकर जांच अब तक जारी है. ट्रेन को पंजाब के ऊंची बस्सी स्टेशन पर रोक लिया गया था.

बताया गया कि जब चालक और उसका सह-चालक कठुआ स्टेशन पर चालक दल बदलने के लिए रुके तो कथित तौर पर इंजन चालू था. सूत्रों के मुताबिक ड्राइवर नीचे उतरने से पहले हैंड ब्रेक खींचने में नाकाम रहा. इस मामले में अनुशासनात्मक अधिकारी वरिष्ठ मंडल यांत्रिक इंजीनियर (डीएमई) द्वारा जारी एक नोटिस में कहा गया है कि लोको पायलट संदीप कुमार ‘अपने कर्तव्यों को पूरा करने में विफल रहे’ और रेलवे मानदंडों में उल्लिखित सुरक्षित अभ्यास का पालन करने में विफल रहे.

इसके लिए जारी नोटिस में कहा गया है कि मुख्य लोको निरीक्षकों (सीएलआई) और अधिकारियों द्वारा बार-बार सलाह दिए जाने के बावजूद संदीप कुमार ने एक शॉर्टकट अपनाया और इंजन रोकने के लिए अनुचित प्रक्रियाओं का इस्तेमाल किया. इसमें कहा गया है कि उनकी लापरवाही के कारण एक बड़ी घटना हो सकती थी, जिससे लोगों की जान जा सकती थी. नोटिस में कहा गया है कि इस घटना ने पूरी तरह से भारतीय रेलवे और विशेष रूप से उत्तर रेलवे की सुरक्षा छवि को खराब कर दिया है.

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