मस्जिद और मजार ही नहीं, महरौली में DDA ने 4 मंदिरों को भी ढहाया, बताई बुलडोजर चलाने की वजह
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के महरौली इलाके में स्थित संजय वन में बनी करीब 600 साल पुरानी अखूंदजी मस्जिद और करीब 900 साल पुरानी बाबा हाजी रोजबीह की मजार को ढहाने का मामला तूल पकड़ता दिख रहा है. इस बीच खबर है कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने यहां मस्जिद और मजारों के अलावा मंदिरों पर भी बुलडोजर चलाया है.
डीडीए की तरफ से बताया गया कि संजय वन में अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत 30 जनवरी को एक मस्जिद और 77 कब्रों के अलावा 4 मंदिरों को भी ध्वस्त किया गया है. डीडीए के एक अधिकारी ने कहा कि महरौली में 780 एकड़ इलाके में फैले संजय वन के अंदर ये 82 संरचनाएं 16 स्थानों पर फैली हुई थीं. उन्होंने कहा, ‘संजय वन एक आरक्षित वन क्षेत्र है, जो दक्षिणी रिज का एक हिस्सा है. रिज प्रबंधन बोर्ड ने रिज क्षेत्र को सभी प्रकार के अतिक्रमण से मुक्त रखने का आदेश दिया है, जिसके बाद यह विध्वंस अभियान चलाया गया.’
तो इस वजह से डीडीए ने चलाया बुलडोजर!
डीडीए अधिकारी ने कहा, ‘2 साल पहले हिंदू और मुस्लिम निकायों को संजय वन के अंदर धार्मिक निर्माणों की एक सूची प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था, और जब उन्हें ध्वस्त करने का निर्णय लिया गया तो ‘धार्मिक निकायों द्वारा किसी भी बैठक में कोई आपत्ति नहीं उठाई गई.’वहीं एक अन्य अधिकारी ने दावा किया कि किसी धार्मिक निकाय ने इन ध्वस्त संरचनाओं का कोई ऐतिहासिक रिकॉर्ड पेश नहीं किया, जिसके बाद ही डीडीए ने यह कार्रवाई की. उन्होंने कहा, ‘धार्मिक समितियों के साथ 27 जनवरी, 2024 की हुई पिछली बैठक में भी उन अवैध संरचनाओं को हटाने के लिए सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी गई थी. इसके बाद ही डीडीए के बागवानी विभाग द्वारा 30 जनवरी को इन संरचनाओं को ध्वस्त किया गया.’
हालांकि डीडीए की इस कार्रवाई की इतिहासकारों सहित कई लोगों ने आलोचना की है. सूफी संत बाबा हाजी रोज़बीह की करीब 900 साल पुराने मजार और सदियों पुरानी अखूंदजी मस्जिद को ध्वस्त किए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि संजय वन में बने हालिया निर्माणों को छोड़कर सदियों पुराने इन धार्मिक स्थलों को ढहाना एक अपूरणीय क्षति है. उनका तर्क है कि ‘संजय वन को वर्ष 1994 में आरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया गया था और अगर ये मस्जिद, मंदिर तथा कब्रें उससे पहले से यहां मौजूद हैं, तो फिर ये अतिक्रमण कैसे हो गया?’