प्रधानमंत्री मोदी नहीं होते तो चौधरी चरण सिंह जी को नहीं मिलता भारत रत्न, मेरठ में बोले जयंत चौधरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मेरठ में चुनावी रैली की. इसी के साथ उत्तर प्रदेश में उन्होंने लोकसभा चुनाव प्रचार का शंखनाद कर दिया है. लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने मेरठ सीट से अरुण गोविल को प्रत्याशी बनाया है. अरुण गोविल टीवी धारावाहिक रामायण से मशहूर हुए थे. इस बार सूबे में जयंत चौधरी भी एनडीए गठबंधन के साथ हैं. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी, चौधरी चरण सिंह को बहुत मानते हैं और किसानों की चिंता करते हैं.

जयंत चौधरी जब मंच पर आये तो उन्होंने मेरठ को क्रांति भूमि और चौधरी चरण सिंह जी की कर्म भूमि बताया. प्रधानमंत्री सहित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और हरयाणा के मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी का अभिवादन किया. इसके बाद उन्होंने कहा जो भारत रत्न उन्होंने कल स्वीकार किया है. वो भारत रत्न आप सबकी कमाई है. आप सबके संघर्ष की कमाई है.

ये एक ऐतिहासिक निर्णय है

इस संबोधन में उन्होंने प्रधानमंत्री से मुलाकात की भी चर्चा की जो उन्होंने कल भारत रत्न लेने के बाद की थी. उन्होंने कहा मोदी जी ने बताया कि वो किसानों के प्रति कितनी चिंता करते हैं और चौधरी चरण सिंह जी को कितना मानते हैं. आगे जयंत ने कहा अगर प्रधानमंत्री नहीं होते तो चौधरी चरण सिंह जी को ये सम्मान कोई नहीं दे सकता था. ये एक ऐतिहासिक निर्णय है. चौधरी चरण सिंह जी गुजरात को अपनी अध्यात्मिक और राजनीतिक जीवन शैली की पीठ मानते हैं. जो भी समाज सुधार का काम वो चाहते थे. उन्होंने ये सब काम दयानंद सरस्वती जी से सीखा और उनसे प्रेरणा ली.

गहरे विश्वास का प्रतीक हैं मोदी

उन्होंने आगे कहा यहां सब मोदी जी के नारे लगा रहें हैं. ये एक गहरे विश्वास का प्रतीक है. इसे हीरो वर्शिप बोलते हैं और चौधरी चरण सिंह जी भी इससे अछूते नहीं रहें. वही एक नेता थे जो सरदार वल्लभ भाई पटेल को अपना आदर्श मानते थे. इसलिए इस नाते को प्रधानमंत्री भलीभांति पहचानते हैं. उनकी मंशा है चौधरी चरण सिंह जी की जो विचारधारा है, जो उनकी विरासत है, जिसे आप सब संभल रहे हो, उसे आगे बढ़ाना है.

सुनाया चौधरी चरण सिंह जी से जुड़ा किस्सा

चौधरी चरण सिंह जी से जुड़ा एक किस्सा सुनाते हुए उन्होंने कहा हमीरपुर जिले में 13 मार्च 1962 की तारीख थी. वो सर्किट हाउस पर बैठे थे. चौधरी जी उस समय गृह मंत्री थे. रेडियो पर कार्यक्रम चल रहा था. उन्होंने सुना कि उन्हें पद से हटा दिया गया, उन्हें लखनऊ जाना था लेकिन उन्होंने सरकारी गाड़ी का प्रयोग नहीं किया. उन्होंने मना कर दिया और कहा अब इस गाडी में मैं नहीं बैठ सकता. ये उनकी इमानदारी थी. आज हम देखते है कुछ लोग जेल में रहते हुए भी सत्ता का सुख भी भोगना चाहते हैं.

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